साहित्य

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Saturday, June 19, 2021

वीरांगना झलकारी बाई- कवि श्याम किशोर बेचैन

जन्म 22 नवम्बर 1830 मृत्यु 04 अप्रैल 1857


झलकारी का शौर्य पराक्रम 

जब झांसी में आम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

बाइस, ग्यारह, अट्ठारह सौ 

तीस को जन्मी झलकारी ।

अट्ठारह सौ सत्तावन में 

कहेर बन गई चिनगारी ।।

 

तेग उठी जब झलकारी की 

सेना मे कोहराम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

पिता सदोवर माता जमुना 

पति पूरन जांबाज मिले ।

इन्ही से अंग्रेजों पर भारी 

पड़ने के अंदाज मिले ।।

 

जोभी सामने आया दुश्मन 

उसका काम तमाम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

शेर से जब वो लड़ी शेरनी 

शेर से छक्के छूट गए ।

जितने डाकू घुसे गांव में 

सबके पसीने छूट गए ।।

 

झलकारी के इस साहस का 

चर्चा सुबहो शाम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

झलकारी की झलक देखके

रह ना सकी लक्ष्मी बाई ।

थी हमशक्ल महारानी की 

योद्धा झलकारी बाई ।।

 

बना दिया सेना मे नायक

फिर सेना में काम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

रानी जब घिर गई महल में 

तब झलकारी खूब लड़ी ।

बचाके अपनी महारानी को 

अंग्रेजों पर टूट पड़ी ।।

 

चार अप्रैल को मिटी शेरनी 

रण वीरों में नाम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

पीठपे जो बेटे को लेके 

गोरों से टकराई थी ।

भूला दिया गोगों ने जिसको 

वो झलकारी बाई थी ।।

 

जाने क्यों इतिहास में ये 

बेचैन नाम गुमनाम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 


पता-संकटा देवी बैंड मार्केट लखीमपुर खीरी

 

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