विशेष
जन्म 11 जून 1875 मृत्यु 19 दिसम्बर 1927
एक एक ग्यारह होते हैं ग्यारह का गुणगान सुनो ।
ग्यारह छै: अट्ठारह सौ पचहत्तर का वरदान सुनो ।।
शाहजहांपुर की धरतीपर जन्मा इक विद्वान सुनो ।
यही वीर बिस्मिल देखो है आगे बना महान सुनो ।।
माता फूलमतीकी ममता प्यार पितामुरलीधर का ।
भाई परमानन्द की भुजा और साथ पूरे घर का ।।
बदला देखो लिया वीर ने भारत मांके अनादर का ।
इसीलिए वो अधिकारी है अपने पूरे आदर का ।।
आजादी के आंदोलन मे हुआ है जो कुर्बान सुनो ।
यही वीर बिस्मिल देखो है आगे बना महान सुनो ।।
भ्रता की फांसी से भ्राता का तेवर है बदल गया ।
फिर ऐसा गरजा भ्रता की हर गोरा है दहल गया ।।
ग्यारह ग्रंथों का लेखक वो क्रांतिवीर कहलाया है ।
पंडित रामप्रसाद ने बिस्मिल होके नामकमाया है ।।
काकोरी चौरी चौरा का रहा जो वीर प्रधान सुनो ।
यही वीर बिस्मिल देखो है आगे बना महान सुनो ।।
गाँधीजी साथ नही था लेकिन योद्धा अड़ा रहा ।
झुका नहीं गोरों के आगे मरते दमतक खड़ा रहा ।।
चूम लिया फांसी का पर समझौता किया नहीं ।
रहा बहुत बेचैन मगर ईमान का सौदा किया नहीं ।।
भरी जवानी में मिटने का पाला था अरमान सुनो ।
यही वीर बिस्मिल देखो है आगे बना महान सुनो ।।
पता-संकटा देवी बैंड मार्केट लखीमपुर खीरी