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Saturday, June 26, 2021

जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव में बीजेपी ने झोंकी पूरी ताकत, मैदान में उतरे योगी सरकार के मंत्री और प्रशासनिक अधिकारी-नन्द लाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)

  राजनैतिक चर्चा  

नन्द लाल वर्मा

बीजेपी की तैयारी ज्यादातर सीटों पर येनकेन प्रकारेण कब्ज़ा करने की है तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी भी इस चुनाव में पूरे जोर-शोर से अपनी ताल ठोक रही है। अब इंतजार 26 जून और 3 जुलाई का है जब  जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन और वोट डाले जाएंगे और नतीजे भी उसी दिन घोषित हो जाएंगे।

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 से पहले अब जिला पंचायत अध्यक्ष पद पर होने वाले चुनाव में सियासी दल अपना दम खम ठोक रहे हैं।75 जिलों में होने वाले इस जिला पंचायत अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए आज यानी 26 जून को नामांकन होना है। ऐसे में बीजेपी की तैयारी है कि इन चुनावों में साम,दाम, दंड, भेद से ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल की जाए। यही वजह है कि अब सरकार के मंत्री भी अपने-अपने क्षेत्र में नामांकन के दौरान मौजूद रहेंगे। पार्टी के उम्मीदवार का हौसला बढ़ाने के साथ ही साथ किस तरीके से लॉबिंग करके उम्मीदवार को जिताया जाए इस पर रणनीति भी तय करेंगे।कई जिलों से खबरें आ रही हैं कि जहां गैर बीजेपी दल मजबूत है, वहां के सपा, बीएसपी और निर्दलीय सदस्यों को स्थानीय जिला प्रशासन के माध्यम से कानूनी दांवपेंच प्रयोग कर या तो हिरासत में लिया जा रहा या फिर उनको सुरक्षित जगह रखा जा रहा है।


प्रदेश में होने वाले 75 जिलों में जिला पंचायत अध्यक्ष पद का चुनाव खासतौर से सत्ताधारी बीजेपी के लिए नाक का सवाल बना हुआ है क्योंकि इस बार बीजेपी ने जिस आक्रामक ढंग से पंचायत चुनाव लड़ा था नतीजे उसके पक्ष में नहीं आए थे।बीजेपी से ज्यादा निर्दलीय जीते थे और बीजेपी तीसरे नंबर पर सपा के बाद चली गई थी। ऐसे में अब जब 3 जुलाई को जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए वोट डाले जाने हैं तो पार्टी की तैयारी है कि 75 में से तकरीबन 60 जिलों में अपना जिला पंचायत अध्यक्ष बनवाया जाए और इसके लिए बीजेपी हर पैंतरा अपना रही है। पार्टी ने निर्दलीयों को साथ जोड़ने के नाम पर कानूनी शिकंजा या अन्य तरह का दबाव बनाना शुरू कर दिया है और कहीं कहीं पार्टी ऐसे लोगों को उम्मीदवार बना रही है जिन्हें कुछ समय पहले अनुशासनहीनता/गुंडागर्दी के चलते पार्टी से निष्कासित कर दिया था।


आज 26 जून को यानी शनिवार को जिला अध्यक्ष पद के लिए नामांकन होना है।यह नामांकन दोपहर 3 बजे तक होगा ऐसे में सरकार के मंत्री अपने-अपने क्षेत्र में नामांकन के दौरान मौजूद रहेंगे और उम्मीदवारों का हौसला बढ़ाएंगे और विपक्षियों पर.......।  बीजेपी के उम्मीदवार को जिला पंचायत अध्यक्ष कैसे बनाया जाए इस रणनीति पर भी पार्टी पदाधिकारियों और स्थानीय प्रशासन से बात चल रही है।


दरअसल, बीएल संतोष जब 2 दिन लखनऊ में थे तब भी पंचायत चुनाव को लेकर चर्चा हुई थी और तब मंत्रियों को अपने-अपने जिलों में जिला अध्यक्ष बनवाने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। उसके बाद यह तय हुआ कि नामांकन के दौरान भी मंत्री वहां मौजूद रहेंगे। दरअसल, ऐसा माना जा रहा है कि जब पंचायत के चुनाव हुए तब कोरोना की दूसरी लहर की वजह से सरकार के मंत्री पार्टी के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार के लिए नहीं उतर पाए थे जिसका खामियाजा बीजेपी को भुगतना पड़ा और नतीजे उसके अनुकूल नहीं रहे। इससे सबक लेते हुए इस बार मंत्रियों को ही मैदान में उतार दिया है। ज्यादातर मंत्री कल नामांकन के दिन प्रत्याशियों के नामांकन में शामिल होंगे।


हालांकि कोविड के चलते नामांकन जुलूस पर तो सभी जगहों पर रोक है लेकिन कोविड प्रोटोकॉल को फॉलो करते हुए नामांकन किया जाएगा। 27 जून को सरकार के सभी मंत्री पूरे प्रदेश में तीसरी लहर के मद्देनजर बच्चों को जो मेडिसिन किट उपलब्ध कराई गई है उसका वितरण भी अपने-अपने क्षेत्रों में करेंगे और इसके बाद मंत्रियों का ब्लॉक स्तर पर दौरा भी होना है यानी 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले अब बचे हुए 8 महीनों में सरकार के मंत्री आपको लखनऊ में कम और अपने विधानसभा क्षेतत्रों में, प्रभार वाले जिले में और ब्लॉक में प्रवास करते ज्यादा नजर आएंगे।क्योंकि आंतरिक कलह की वजह से यूपी का विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए राजनैतिक रूप से जीवन-मरण का विषय बन चुका है


बीजेपी ने इस बार उम्मीदवारों के नाम घोषित करने में भी अपनी रणनीति में बदलाव किया. दरअसल, पहले 3050 जिला पंचायत वार्ड के सदस्यों के नाम की घोषणा लखनऊ मुख्यालय से की गई लेकिन नतीजे पक्ष में नहीं आये. उसके बाद यह तय किया गया कि जिला पंचायत अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों के नाम की घोषणा जिला स्तर पर ही की जाएगी. इसके पीछे मंशा यह थी कि किसी नाम पर अगर बवाल हो तो उससे सीधे-सीधे आलाकमान पर सवाल ना उठे, लेकिन इतनी सावधानी बरतने के बाद और कई स्तर पर स्क्रीनिंग करने के बावजूद  उन्नाव में पार्टी को दोबारा बैकफुट पर आना पड़ा।


एक तरफ बीजेपी की तैयारी ज्यादातर सीटों पर कब्जा करने की है तो दूसरी तरफ इस चुनाव को विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल मानकर समाजवादी पार्टी भी इस चुनाव में जोर-शोर से अपनी ताल ठोक रही है। हालांकि, लगातार समाजवादी पार्टी इस चुनाव में शासन सत्ता के दुरुपयोग का भी आरोप लगा रही है। लेकिन बीजेपी भी समाजवादी पार्टी को 2015 की याद दिला रही है। अब इंतजार आज यानी 26 जून और 3 जुलाई का है जब पंचायत चुनाव में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के लिए नामांकन हर वोट डाले जाएंगे और नतीजे भी उसी दिन घोषित हो जाएंगे।जो खबरें मिल रही हैं उससे ज़ाहिर होता है कि बीजेपी सरकार ने विपक्षियों पर नामांकन प्रक्रिया से पहले ही कानूनी शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। क्योंकि मोदी के नेतृत्व में बीजेपी के लिए लोकतंत्र का मतलब मात्र चुनाव जीतना ही शगल बन चुका है। यह सर्वविदित है कि इस तरह के चुनावों में सत्ता का हमेशा दखल रहा है।लेकिन विपक्ष के सदस्यों को थोक भाव मे बिना किसी अपराध के हिरासत में लेने के पीछे की मंशा बहुत कुछ बयां करती है जिसका खुलासा आज के नामांकन दाखिल होने और मतदान की तारीख को हो जाएगा।

पता-लखीमपुर खीरी उ०प्र०

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