साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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Thursday, June 06, 2024

'पापा पिस्तौल ला दो' एक बेहतरीन शार्ट फिल्म-सत्य प्रकाश 'शिक्षक'


लखीमपुर खीरी  फिल्में समाज का आइना होती है, आज की जीवन शैली में व्यस्तता के कारण साहित्य एवं सिनेमा में लघु विधाएं ज्यादा प्रचलन में हैं। आज साहित्य में लघुकथा सर्वाधिक प्रचलित विधा है।  सिनेमा में शार्ट फिल्में भी खूब चलन में है। लघु फिल्म की बात करें तो एक से बढ़कर एक अच्छी लघु फिल्में चर्चा में आ रही हैं। हाल ही में  अर्पिता फिल्म्स इंटरटेनमेंट के बैनर तले बनी लघु फिल्म "पापा पिस्तौल ला दो" भी काफ़ी चर्चा में हैं। लघु फिल्म की कहानी प्रसिद्ध लघु कथाकार सुरेश सौरभ (लखीमपुर खीरी) ने लिखी है। साहित्य जगत में इनकी लघुकथा " पापा पिस्तौल ला दो " खूब सराही गई। जिससे प्रभावित होकर फतेहपुर जनपद के युवा फिल्म निर्देशक शिव सिंह 'सागर' ने इस लघुकथा पर लघु फिल्म बनाई है। फिल्म की केंद्रीय भूमिका में  ऋचा राजपूत ने बड़ी ही खूबसूरती से निम्मी के किरदार को जिया है। फतेहपुर के सशक्त अभिनेता आर. चद्रा ने माधव यानि पिता के चरित्र को अपने अभिनय से सजा दिया है। इसके अतिरिक्त सहयोगी कलाकारों में राजकुमार, कुनाल, दिव्यांशु पटेल, भूमि श्रीवास्तव, पीहू, अनुराग कुमार, अंश यादव आदि कलाकारों ने लघु फिल्म में महती भूमिका निभाई है। फिल्म को कैमरे पर खूबसूरती से उतारा है पिंकू यादव ने।  ओम प्रकाश श्रीवास्तव, डॉ. मिथिलेश दीक्षित, डॉ. द्वारिका प्रसाद रस्तोगी, संजीव जायसवाल 'संजय' वसीक सनम,  राजू फतेहपुरी, विजय श्रीवास्तव आदि साहित्य कला से जुड़े विशिष्ट जनों ने  फिल्म की पूरी यूनिट को बधाई दी है। बताते चले कि स्त्री विमर्श पर यह एक बेहतरीन कथानक की फिल्म है। 

Saturday, January 06, 2024

देह व्यापार की गुलाबी गलियां-सत्य प्रकाश 'शिक्षक'

(पुस्तक चर्चा)
समीक्षक-सत्य प्रकाश 'शिक्षक'
लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश
नारी विमर्श पर केंद्रित 'गुलाबी गलियां' कृति में संकलित लघुकथाएं  साहित्य के अभिजन वर्ग द्वारा वर्जित विषयों पर तन्मयता के साथ अंकित की गई हैं। इन लघुकथाओं  में समाज की सच्चाई का बोध कराने का स्तुत्य प्रयास किया गया है। कहीं जीवन के स्याहपक्ष को सहजता से स्वीकार किया गया है, तो कहीं जीवन के अनकहे, अनछुये पहलुओं के यथार्थ कटु चित्रों को प्रस्तुत किया है। दूरवर्ती लेखकों से संपर्क करके उनकी रचनाओं का संकलन-परिमार्जन एक दुरूह कार्य है जिसे संपादक ने अपने तन, मन-धन से कुशलता पूर्वक संपन्न किया है। संकलन में  दायित्वबोध के क्रम में सच्ची लघु, कथाएं ग्रीष्म की  तपन के साथ चांदनी शीतल छांव भी प्रदान करतीं हैं जिनसे पाठक अपने अंर्तमन में झांककर देख सकता है कि‌ सभ्यता के विकास क्रम में वे अग्रसर हो रहे हैं या समाज के साथ पतनोन्मुख हो रहे हैं। चर्चित लघुकथाकार सुरेश सौरभ जी ने प्रस्तुत संग्रह की अपनी भूमिका में सही कहा है कि कभी छल से या कभी बल से नारी अनादि काल से शोषित रही है । प्रस्तुत संकलन वेश्याओं के जीवन संघर्ष, को पढ़ते हुए आत्मसात करने वाले किसी भी पाठक के मन में संवेदना जगाने में पूर्ण सक्षम है। प्रसिद्ध साहित्यकार संजीव जायसवाल 'संजय व उदीयमान युवा साहित्यकार देवेंद्र कश्यप "निडर'' जी ने संग्रह पर अपनी अमूल्य टिप्पणियां लिख कर किताब को कालजयी बना दिया है। इससे पहले सुरेश जी की इस दुनिया में तीसरी दुनिया, तालाबंदी, बेरंग, वर्चुअल रैली, एक कवयित्री की प्रेमकथा, पक्की दोस्ती, निर्भया आदि रचनाएँ अपार ख्याति पा चुकीं हैं। इनकी रचनाएँ गरीबों किसानों महिलाओं एवं मध्यम वर्ग की संवेदनाओं भावनाओं के इर्द-गिर्द विचरण करती रहती हैं। गुलाबी गलियां साझा संग्रह में देशभर के 63 लघुकथाकारों को संकलित किया है। बधाई सौरभ जी। 

पुस्तक- गुलाबी गलियां
संपादक-सुरेश सौरभ
प्रकाशन- श्वेत वर्णा प्रकाशन नई दिल्ली
मूल्य-249 (हार्ड बाउंड) 

Friday, June 30, 2023

वेदनाओं की मुखर अभिव्यक्ति है किन्नर कथा-सत्य प्रकाश ‘शिक्षक

पुस्तक समीक्षा



पुस्तक-इस दुनिया में तीसरी दुनिया 
(साझा लघुकथा संग्रह संपादक-डॉ. शैलेष गुप्त ‘वीर‘ एवं सुरेश सौरभ)  
मूल्य-249
प्रकाषन-श्वेतवर्णा प्रकाशन नई दिल्ली
प्रकाशन वर्ष-202

                संवेदनशील व्यक्ति आस-पास की घटनाओं को नजर अंदाज नहीं कर सकता, जो घटता है उसके मन पर गहरा असर डालता है। इस दुनिया में तीसरी दुनिया (‘किन्नर कथा) नामक लघुकथाओं के संकलन में रचनाकारों ने उन तमाम संवेदनाओं को अभिव्यक्त किया है जो प्रायः के अछूती रही हैं। घृणा, प्रेम, प्रतिशोध ग्लानि के ताने-बाने से चुनी संग्रह की लघुकथाओं में किन्नरों के प्रति जन सामान्य की, दुर्भावना साफ झलकती है। प्रस्तुत कृति मेें लेखक-लेखिकाओं ने अनुत्तरित मुद्दों को विमर्श प्रदान किया है। संग्रहीत 78 लघुकथाकारों की लघुकथायें जीवन के कटु सत्य को उजागर करती हैं। अंजू निगम की ‘आशीष‘ कथा में किन्नरों की सदाशयता प्रकट होती है-जब पता चलता है कि मुंडन संस्कार करा के लौटे परिवार का पर्स ट्रेन में चोरी हो चुका है, तो वे सोहर गा-बजाकर आशीष देते हुये बिना नेग लिये टोली के साथ बाहर निकल जाती हैं। अभय कुमार भारती की लघुकथा ‘फरिश्ते‘ में किन्नरों की टोली ट्रेन में जिस तरह जहर खुरानी के शिकार यात्री की मदद करती है, वह प्रशंसनीय है। दृष्टव्य है, जब सहयात्री एक-दूसरे का मुख ताकते रह जाते हैं तब किन्नरों की संवेदना काम आती है। इस प्रकार प्रस्तुत संकलन में योगराज प्रभाकर, डॉ. लता अग्रवाल, राहुल शिवाय, राम मूरत राही, विजयानंद विजय, राजेंद वर्मा, विभा रानी श्रीवास्तव,हर भगवान चावला, संतोष सुपेकर आदि रचनाकारों ने किन्नरों की संवेदनाओं का चित्रण एवं विश्लेषण उनके जीवन के विभिन्न पक्षों को ध्यान में रखकर बहुत ही कायदे से किया है। समीक्ष्य साझा संग्रह ‘इस दुनिया में तीसरी दुनिया‘ के सफल संयोजन व संपादन के लिये डॉ. शैलेष गुप्त ‘वीर‘ एवं सुरेश सौरभ जी को बहुत-बहुत बधाई। नयी राहों का यह संग्रह अन्वेषी बने ऐसी कामना है।
समीक्षक-सत्य प्रकाश ‘शिक्षक‘
पता-कीरत नगर टेलीफोन एक्सचेन्ज के पीछे लखीमपुर-खीरी पिन-262701
मो-7985222074


Sunday, April 24, 2022

संतू जाग गया, पक्की दोस्ती का विमोचन सम्पन्न हुआ

    पुस्तक विमोचन   
संतू जाग गया, पक्की दोस्ती विमोचन सम्पन्न लखीमपुर खीरी आज सनातन धर्म विद्यालय में परिवर्तन फाउंडेशन संस्था के तत्वावधान में एक काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें गोला गोकर्णनाथ से मुख्य  अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि नंदी लाल विशिष्ट अतिथि कवि  समाजसेवी  द्वारिका प्रसाद रस्तोगी ने, डॉ मृदुला शुक्ला "मृदु" की कहानी संग्रह 'संतू जाग गया' और सुरेश सौरभ की कृति पक्की दोस्ती लघुकथा संग्रह का विमोचन किया। मुख्य वक्ता प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ राकेश माथुर ने पुस्तकों की समीक्षा  प्रस्तुत करते हुए कहा मृदुला की कहानियां गद्य गीत की तरह मार्मिक और हार्दिक हैं वहीं सौरभ की पक्की दोस्ती की बाल कहानियां बच्चों के लिए प्रेरणा दायक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शिक्षाविद् सत्य प्रकाश शिक्षक ने कहा रचनाकार सूर्य की तरह है जो समाज को सूर्य की तरह ही आलोकित करता है। सिधौली से पधारे  "श्रमवीर" कृति के रचयिता  देवेन्द्र कश्यप 'निडर' ने कहा सौरभ जी की रचनाओं में युगीन समय बोध है।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि श्याम किशोर बेचैन और शायर कवि विकास सहाय ने अपने बेहतरीन अंदाज से कविता पाठ करके सभा में समां बांध दिया। गोला गोकर्णनाथ के संत कुमार बाजपेई संत, रमाकांत चौधरी, डॉ शिव चन्द्र प्रसाद, हरगांव के युवा कवि विनोद शर्मा "सागर" नकहा के नवोदित कवि दुर्गा प्रसाद नाग, रंजीत बौद्ध, इन्द्र पाल, मृदुला शुक्ला, द्वारिका प्रसाद रस्तोगी ने भी सुमधुर काव्य पाठ किया। सरदार जोगिंदर सिंह चावला, अखिलेश अरूण, चंदन लाल वाल्मीकि, ने साहित्य की प्रासंगिकता पर विचार प्रकट किए। बालिका मानसी, रूपांसी, अपूर्वा शाक्य,  पूर्णिमा शाक्य ने भी कविता पाठ किया। संयोजक श्याम किशोर बेचैन ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। सभा में शमशुल हसन उर्मिला शुक्ला, राम बाबू, मनीष गौतम, राज कुमार वर्मा, आदि काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

Thursday, September 30, 2021

पक्की दोस्ती-बाल संवेदनाओं का संवहन-सत्य प्रकाश 'शिक्षक'

जब तक देश में रेडियो का प्रचलन रहा,तब तक घरों में बाल साहित्य प्रचुर मात्रा में पढ़ा जाता था। जब चंदा मामा, नंदन,चंपक, बालभारती जैसी पत्रिकाएं बच्चे ही नहीं बड़े भी चाव से पढ़ते थे, परन्तु भौतिकता की बढ़ती चकाचैंध में टीवी कम्प्यूटर,और स्मार्टफोन के घरों में प्रवेश होते ही, जब बचपन अनायास ही युवा और पौढ़ होता जा रहा है,तब बाल संवेदनाओं को बचाने के लिए बाल साहित्य की महती भूमिका बन जाती है। ऐसे में सिद्धहस्त लघुकथाकार सुरेश सौरभ की नवीनतम कृति बाल कथा संग्रह ‘पक्की दोस्ती‘ साहित्य जगत में कुछ आशा का संचार करती दिखाई पड़ती है। संग्रह की सभी 19 कहानियों में विविधता के साथ सरसता भी है, जो अपनी सहज भाषा शैली से पाठको का मन मोह लेने में समर्थ हैं। ये बाल कथाएँ मनोरंजन के साथ-साथ एक अदर्श भी प्रस्तुत करतीं हैं, जो बाल मन को भविष्य के लिए सुनागरिक बनने की प्रेरणा भी प्रदान करती हैं। इस संग्रह में ‘पापा जल्दी आ जाना‘ तथा ‘मैं अभिनंदन बनना चाहता हूँ‘ नामक कथाएँ देश प्रेम की प्रेरणा देती है,तो ‘पक्की दोस्ती‘ और ‘नन्दू सुधर गया‘ आदि कहानियाँ समझदारी के साथ नसीहत देती प्रतीत होती है। ‘पक्की दोस्ती‘ बाल कथा संग्रह से ऐसी प्रेरणा मिलती है, जिससे उनका बचपन असमय परिपक्व न हो, क्योंकि बचपन से ही बच्चा बना रहना, बाल संवेदनाओं और घर-परिवार, समाज और देश के लिए सुखदायी है।

   सौरभ जी की रचनाएँ देश के प्रसिद्ध अखबारों पत्रिकाओं में प्रकाशित और चर्चित हो रहीं हैं। अस्तु आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि श्वेतर्णा प्रकाशन दिल्ली से प्रकाशित सुरेश सौरभ की कृति ‘पक्की दोस्ती‘ हिन्दी साहित्य को समृ़द्ध करेगी।

पुस्तक-पक्की दोस्ती (बाल कहानी संग्रह)
लेखक-सुरेश सौरभ
प्रकाशन-श्वेतवर्णा प्रकाशन नई दिल्ली।
मूल्य-80रू
पृष्ठ-64
समीक्षक-सत्य प्रकाश ‘शिक्षक‘
पता-कीरत नगर टेलीफोन एक्सचेन्ज के पीछे लखीमपुर-खीरी पिन-262701
मो-7985222074

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

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