साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Sunday, June 13, 2021

सकारात्मकता-सुरेश सौरभ


 लघुकथा 

लॉक डाउन की उपयोगिता और उससे उपजी जन समस्याओं पर गूगल मीट पर परिचर्चा हो रही थी। प्रोफेसर डॉव सारिका सिंह ने तर्क रखा,‘लॉक डाउन से लोग कम संसाधनों में जीना सीख गए हैं। एकान्तवास में रहते-रहते लोगों में सकारात्मकता आ रही है। सड़कों पर तमाम वाहनों की आवाजाही कम होने से, फैक्ट्रियाँ,कारखाने बंद होने से, प्रदूषण बहुत कम हुआ है। आकाश कितना निर्मल और स्वच्छ लग रहा है। अदभुत प्राकृतिक सौंदर्य लॉक डाउन के कारण बढ़ा है, जिसकी अनोखी छटा रूहानी सुकून दे रही है। उनके ही महाविद्यालय की प्रोफेसर क्षमा गुप्ता ने उनके तर्क का खण्डन करते हुए कहा-लंबे समय तक लॉकडाउन के कारण सारी फैक्ट्रियाँ बंद हैं, कारखाने बंद हैं, जिससे गरीबों, मजदूरों और प्राइवेट कामगारों की जीविका का निर्वाह होना मुश्किल हो गया है। लंबे समय तक का लॉकडाउन, और बार-बार का लॉकडाउन, कोराना रोकने का कारगर इलाज नहीं? जरूरी यह है कि सरकार टेस्टिंग बढाए,जरूरत के हिसाब से दवाएँ,बेड,वेंटिलेटर और डॉक्टरों की भारी कमी को पूरा करे,जिससे इस कोरोना पर पूरी तरह काबू पाया जा सके,पर सरकार कहीं मंदिर बनवाने में, कहीं मूर्ति लगवाने में,कहीं सेन्ट्रल विस्टा, तो कहीं स्टेडियम बनवाने में पड़ी रही और कोरोना काल के साल भर में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं को दुरूस्त करने में उसने कोई रूचि न ली।

    उनके इस तर्क से डॉ0 सारिका चिढ़ गई, तैश में बोलीं-कुछ लोग हमेशा नाकारात्मकता ही फैलातें रहतें हैं। सरकार लोगों के लिए क्या कर रही हैं,यह उनको नहीं दिखता हैं, छिद्रान्वेषी लोगों का काम ही होता, बस हर काम में कमियाँ निकालना।

   फिर बहस लॉक डाउन की खूबियों और खराबियों के पक्ष-विपक्ष में चलती रही।

    दो माह बाद डॉ0 सारिका की कोरोना से मौत हो गई।

   उनके लड़के भक्त सिंह ने सोशल मीडिया पर एक रोते हुए एक वीडियो डाला जिसमें वह कह रहा था-ऑक्सीजन, वेटिंलेटर न मिल पाने के कारण मेरी माँ की मौत हुई। मेरी माँ की मौत का असल कारण सरकार की बदइंजामी है। यह क्रूर सरकार किसी की सगी नही हैं।

 

पता-निर्मल नगर लखीमपुर खीरी

पिन-262701

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