साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, June 04, 2021

मेरी अभिकामना

"है मेरी अभिकमना, इस ब्लॉग पर यह 100 वीं रचना है,  कम समय में रचनाओं का शतक पूरा कर लिया गया यह हमारे लिए हर्ष का विषय है. ब्लॉग 2014 से संचालित हैं जिस पर इक्का-दुक्का मेरे स्वंय की रचनाएँ ही प्रकाशित होती थीं जिले के नामचीन साहित्यकार सुरेश सौरभ के सुझाव से मई के अंतिम सप्ताह से अब यह ब्लॉग मेरा व्यक्तिगत न रहकर ऑनलाइन दुनिया में संपादन/प्रकाशन पर एक शोध के लिए आप सभी साहित्यकार मित्रों के लिये पटल का रूप ले लिया है. बहुत अधिक रचनाएँ प्राप्त होने लगी हैं. हम गौरान्वित हैं कि हमारा जिला भी साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी है और इसे साहित्य के दुनिया में और आगे ले जाना है."
-संपादक/उपसंपादक
है मेरी अभिकामना

मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ,

नीरजा विष्णु 'नीरू'

टूटकर, गिरकर, बिखरकर

एक नया आकार पा लूँ।

 

है मेरी अभिकामना

मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।

 

कंटकों से बैर कैसा ?

प्रेम क्या मुझको सुमन से ?

पथ मेरा ऐसा हो जिसपे

चलके मैं संस्कार पा लूँ।

 

है मेरी अभिकामना

मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।

 

जीत का लालच नही है

हार का भय भी नही,

हो वही परिणाम जिससे

कर्म का आधार पा लूँ।

 

है मेरी अभिकामना

मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।

 

मित्रवत मुझसे मिलें सब

शत्रुता जैसा न कुछ हो,

प्रेम हो चारों तरफ

ऐसा सुखद संसार पा लूँ।

 

है मेरी अभिकामना

मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।

 

भावनाओं के भंवर में

बह न जाये नाव मेरी

हो न कोई शेष तृष्णा

तृप्ति की पतवार पा लूँ।

 

है मेरी अभिकामना

मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।

Email: neerusolanki1090@gmail.com

ग्राम व पोस्ट: भीखमपुर जनपद: लखीमपुर खीरी

(उत्तर प्रदेश) पिन कोड:262805

No comments:

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.