लघुकथा
करीम मियाँ
क्वारन्टीन में तसल्ली से अपने दिन काट रहे थे। वह कोरोना पोजीटिव हो गये थे। घर
पर ही उन्हें डाक्टरों ने क्वारन्टीन किया था। बेटें, बहुएं और
पोते-पोतियाँ पल-पल उनका हाल-चाल फोन से लेते और खाना-पानी दवाई आदि उचित समय पर, उचित दूरी से दे
जाते। अभी वह मस्ती में दोस्तों की चैटिंग का जवाब दे ही रहे थे, तभी उनके पुराने
साथी दशरथ मांझी का फोन आ गया-करीम ने फोन रिसीव किया, उधर से आवाज आई-और
करीम मियाँ कैसे हो?
'सब अल्लाह का करम है, अब बुढ़ापे में यही
सब देखना बाकी रह गया था। तुम्हारी भाभी जान तो, पाँच बरस पहले मुझे तन्हा छोड़ करके
चलीं गईं। अब इस कोरोना ने इस कदर तन्हा किया है कि बस अब कोई हाल न पूछो।
'अरे! चिन्ता न करें भाई, जल्दी ही स्वस्थ हो
जाएंगे, डरे बिल्कुल न।'
'हुंह अब मुझे कौन चिन्ता, कौन सा डर। पहले से
गुड फील कर रहा हूँ। कहीं सब्जी लाओ, कहीं दूध लाओ, कहीं राशन-वाशन
बाजार से लाओ। कहीं मुन्ने को छोड़ कर आओ, कभी लेने जाओ, अब तो बड़े सुकून से
बैठे-ठाले खाना-पानी समय से मिल रहा है और दवा-दारू भी.. तभी उनके हाथों में चाय आ
गई सिप-सिप पीते हुए, ‘पूरे घरवाले पल-पल मेरा ख्याल रख रहें हैं। बड़ा चैनों सुकून मिल
रहा है, इस एकान्तवास में। सोचता हूँ, हम बूढ़ों के,अगर ऐसे ही सुकून
भरे दिन कटते, तो कितना अच्छा हो।'
'करीम भाई सेवा आप की नहीं, आप की उस चालीस
हजार पेंशन की हो रही है, जो आप को हर महीने मिल रही है, जो आप के बाद किसी को न मिलेगी।
जैसे किसी ने, एकदम से, पैरों के नीचे से, जमीन खींच ली हो।
जैसे तमाम सुइयाँ पूरे दिमाग में बड़ी तेजी से चुभने लगी हों। करीम मियॉ छटपटाकर
खामोश हो गये।
'हैलो हैलो हैलो! क्या हुआ? क्या हुआ? करीम भाई? कुछ बोलते क्यों
नहीं?
'चाय पी रहा था, तुमसे बात करने से
पहले मीठी लग रही थी। अब पता नहीं क्यों कड़वी लगने लगी है। कुछ तबीयत नासाज़ हो
रही है। ठीक है, दशरथ भाई कुछ सिर भारी हो रहा है। बाद में बात होगी, यह कहते-कहते करीम
मियाँ ने फोन काट दिया। अब चित लेटे हुए, अपनी खामोश आँखों से छत की ओर एकटक
ताक रहे थे। कुछ देर बाद उनकी आँखों से आँसू रिसने लगे। तभी फोन कें कें कें करने
लगा। नम्बर देखा, बहू का था।कंपकंपाते हाथ बढ़े,पर एकाएक ठहर गये। बेहद आंतरिक पीड़ा
से बुदबुदाए-नामुराद सारी दुनिया स्वार्थी है, हे! कोरोना तू मुझे इस दुनिया से उठाए
या न उठाए, पर स्वार्थी और मतलब परस्त दुनिया वालों को जरूर उठा ले।
लेखक- सुरेश सौरभ
निर्मल नगर लखीमपुर
खीरी
पिन-262701