साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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Saturday, June 12, 2021

बर्बाद होते देश को बचाओ -जसवन्त कुमार

और कितना? 

बिकने देना है, इस देश को-

कब संभालोगे अपने होश को,

अब तो बहकावे में न आओ-

बर्बाद होते देश को बचाओ 

 

तुम्हारी नासमझी क्या खूब रंग लाई है,

बेरोजगारी और महंगाई भी संग लाई है,

अब तो  अच्छे दिन को ठुकराओ-

बर्बाद होते देश को बचाओ 

 

वर्तमान, जो भूत है न भविष्य

वह क्या? सवाँरेगा देश का भविष्य

अब तो अपने बच्चों को पढ़ाओ-

बर्बाद होने से देश को बचाओ ।

 

हे मेरे पिछड़े समाज के लोगों

तुमसे कहता हूं- मैं, कुछ आज-

अब अपने में बदलाव लाओ

बर्बाद होते देश को बचाओ 

 

पता-सरवा टापर पिपरा गूम जिला-लखीमपुर खीरी

Monday, May 31, 2021

ये कैसी हवा चली-जसवंत कुमार

साहित्य के नवांकुर 

उज्ज्वल भविष्य की कामनाओं के साथ पहली कविता प्रकाशित है.

ये कैसी हवा चली, सुनसान हो गया-

सारा शहर और गली ।

कुछ तो बात है इस राज में,

जो उम्मीद की हमने वह व्यवस्था न मिली ।।

पानी बिन सूख गए-

खिलने से पहले, कितने फूल और कली ।

जो लोगों की जान बचाते थे,

वही दे रहे हैं- इंसानों की बली ।।

कोई दवी -देवताओं से उम्मीद लगाये बैठा है,

तो कोई कहता है-ठीक कर देगा मेरा अली ।

ये कैसी हवा चली  सुनसान हो गया,

सारा शहर और गली ।



जसवन्त कुमार (बी०ए० द्वितीय वर्ष)

ग्राम-सरवा पोस्ट-पिपरागूम

जिला-लखीमपुर

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

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