बिकने देना है, इस देश को-
कब संभालोगे अपने होश को,
अब तो बहकावे में न आओ-
बर्बाद होते देश को बचाओ ।
तुम्हारी नासमझी क्या खूब रंग लाई है,
बेरोजगारी और महंगाई भी संग लाई है,
अब तो अच्छे दिन को ठुकराओ-
बर्बाद होते देश को बचाओ ।
वर्तमान, जो भूत है न भविष्य
वह क्या? सवाँरेगा देश का भविष्य
अब तो अपने बच्चों को पढ़ाओ-
बर्बाद होने से देश को बचाओ ।
हे मेरे पिछड़े समाज के लोगों
तुमसे कहता हूं- मैं, कुछ आज-
अब अपने में बदलाव लाओ
बर्बाद होते देश को बचाओ ।
पता-सरवा टापर पिपरा गूम जिला-लखीमपुर खीरी