साहित्य के नवांकुर
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रमा कनौजिया |
है इसके लिए कुछ बदले मन ।
न स्थिर रहने वाला, गति करता है
फिर क्यों? मनुस ईमान भी धरता है।।
हैं चर्चे इसके जगत व्यहार में
हर कोई इसको जाने अपना माने,
क्या बच्चे, क्या बूढ़े और जवान
न मिले तो बन जाते हैं हैवान।।
माना कि है जीवन में जरुरी,
किन्तु मनुज, आधार तो नहीं
संतोष पर असंतोष की जीत को,
अपने पर हावी होने तो न दो।।
चाहे काली हो या गोरी सूरत
है सबको ही इसकी जरूरत।
पापी से लेकर धर्मात्मा तक
जताते, सब अपना अपना हक ।।
बावली हुई है रे दुनिया सारी
दुश्मन हो गई लोगों की यारी।
मानव की सोच समंदर में
भाव हैं इसके अपने कलंदर के ।।
ग्राम व पोस्ट- गुदरिया
जिला - लखीमपुर खीरी