साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Thursday, June 17, 2021

लाल अनार-सतीश चन्द्र भगत

लाल अनार लाल अनार,

गेंद सरीखे गोल अनार।

 

लदे फदे हैं पेड़ों पर,

लगते अच्छे लाल अनार।

 

इसके अंदर लाल दाने,

करता है मन, इसको खाने।

 

जब खाएंगे लाल अनार,

नहीं पड़ेंगे हम बीमार।

 

जमकर खाएं लाल अनार,

हमें मिलेंगे शक्ति अपार।



पता- निदेशक- हिन्दी बाल साहित्य शोध संस्थान,

बनौली, दरभंगा ( बिहार) -847428

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