साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
Showing posts with label राजरानी. Show all posts
Showing posts with label राजरानी. Show all posts

Wednesday, June 09, 2021

खौफ़जदा हूँ मैं-राजरानी

             साहित्य के नवांकुर            

राजरानी
साहित्य की दुनिया में यह आपकी पहली रचना है, उज्जवल भविष्य की मंगलकामनाएं -अस्मिता ब्लॉग/पेज

 ये जिंदगी ना रूठ यूँ, तूं धारा है, तो मैं किनारा

ऐसे छोड़ के ना जा तूं, नदी में नाव बिन पतवारा।

 

तेरा जो बचपन मेरा था, मेरा बचपन तेरा है,

राहें भले अनेक थी किन्तु मंजिल मेरी एक थी

बचपन की रीत याद कर साथ-साथ चल जरा

ये जिंदगी ना रूठ यूँ, तूं धारा है, तो मैं किनारा।

 

दुनिया के रीति-नीति में, हमें भी साथ चलना है

इन कंकड़ो के डरकर मुझे राह न बदलना है

पीछे है तेरे कोई उसे भी साथ लेके चल जरा

ये जिंदगी ना रूठ यूँ, तूं धारा है, तो मैं किनारा।

 

जो अपने थे वे पराये हैं, तूं परायों में अपना

तूं हकीकत है आज भी मेरी, मैं तेरी कल्पना

खौफ़जदा हूँ मैं, इन दरिंदों से मुझे बचा जरा

ये जिंदगी ना रूठ यूँ, तूं धारा है, तो मैं किनारा।

 

पता-ग्राम-हजरतपुर, लखीमपुर खीरी उ०प्र०

 

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.