साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, June 04, 2021

सुरेश सौरभ की बाल-कवितायेँ


 1 पापड़ वाला

-सुरेश सौरभ
 पापड़ ले लो पापड़ ले लो!

कुर्रम-कुर्रम पापड़ हैं

नरम-नरम पापड़ है

मुँह में रखो झटपट गायब

ऐसा बढ़िया पापड़ है।

 

2 गौरैया

 यह प्यारी गौरैया है

दाना-चुग्गा खाती है

बच्चों को खिलाती है

यह बड़ी चिलबिल्ली है

देखी इसने दिल्ली है

जैसे घर की गैया है

वैसे प्यारी गौरैया है।

 

 3 कौवे जी

 कौवे जी ओ! कौवे जी

काँव-काँव कनफोड़ू जी

तुमने इतने क्यों काले हो

क्रीम लगाओ,पाउडर लगाओ

हो जाओ तुम गोरे जी।

 

4 टिंकू भाई

 इधर दौड़ना उधर दौड़ना

फिर सीढ़ी छू वापस आना

टॉफी खाकर मुँह चिढ़ाना

सीटी वाला बाजा बजाना

काम न इनका कोई भाई

नाम है इनका टिंकू भाई।

 

  5 टकला

 कितना प्यारा टकला है

कितना चिकना टकला है

मन करता है इसपे फिसलूँ

मन करता है इसपे उछलूँ

मन करता है इसपे कुदूँ

इतना उछलूँ इतना कुदूँ

इतना उछलूँ इतना कुदूँ

बस आसमान को छू लूँ।

 

6  मोबाइल

 यह शैतान का बच्चा है

हरदम पापा के संग रहता है।

पापा इसको खूब झुलाते

दूर-दूर की सैर कराते

मुझको तनिक न भाता है

मोबाइल यह कहलाता है।

 

 7 तोंद

 बुलडोजर सी चलती है

हरदम खाती रहती है।

काम न कोई करती है

यह तोंद बड़ी निठल्ली है।

 

 8 नानी अम्मा

 नानी अम्मा आयेंगी

चिज्जी-विज्जी लायेंगी।

गौरी को खिलायेंगी

गौरी ऊधम मचायेगी।

नानी उसे दुलरायेंगी

झूला खूब झूलायेंगी।

सुरेश सौरभ

मो0-निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी उ0 प्र0

पिन-262701 मो-7376236066

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