नवांकुर नन्हे-मुन्हे कवि
आया जाड़ा आया जाड़ा,
पढ़ने लगे हैं दाँत पहाड़ा।
हवा चल रही ठंडी-ठंडी,
बंद करो अब खुले किवाड़ा।
सूरज कोहरे से डर जाता,
गर्मी ने भी पल्ला झाड़ा।
दादी हलुआ दो गाजर का,
शकरकंद दो और सिंघाड़ा।
पड़े रहे बिस्तर में हरदम,
जाड़े ने हर खेल बिगाड़ा।
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अक्षत अरविन्द |
कक्षा-5
श्री राजेन्द्र गिरि मेमोरियल एकेडमी गोला गोकर्ण नाथ-खीरी
पता-नन्दी लाल ‘निराश‘ हनुमान मंदिर के पीछे
लखीमपुर रोड गोला गोकर्णनाथ-खीरी