साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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Thursday, June 24, 2021

जाड़ा-अक्षत अरविन्द

नवांकुर नन्हे-मुन्हे कवि

आया जाड़ा आया जाड़ा,

पढ़ने लगे हैं दाँत पहाड़ा।

हवा चल रही ठंडी-ठंडी,

बंद करो अब खुले किवाड़ा।

सूरज कोहरे से डर जाता,

गर्मी ने भी पल्ला झाड़ा।

दादी हलुआ दो गाजर का,

शकरकंद दो और सिंघाड़ा।

पड़े रहे  बिस्तर में हरदम,

जाड़े ने हर खेल बिगाड़ा।

 

अक्षत अरविन्द

कक्षा-5

श्री राजेन्द्र गिरि मेमोरियल एकेडमी गोला गोकर्ण नाथ-खीरी

 पता-नन्दी लाल निराशहनुमान मंदिर के पीछे

लखीमपुर रोड गोला गोकर्णनाथ-खीरी

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

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