साहित्य

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Wednesday, June 09, 2021

बिरसा मुंडा-श्यामकिशोर बेचैन

 बिरसा मुंडा का उलगुलान विद्रोह


जन्म-15 नवम्बर 1875,  मृत्यु-9 जून 1900 पर विशेष, भावपूर्ण आदरांजलि,नमन .

बिरसा मुंडा के  साथी  सहयोगी  भोले-भाले थे।

यही लाडले  अंग्रेजों से  टक्कर  लेने  वाले थे।।

 

आदिवासियों ने मुंडा को जाना  था पहचाना था।

परमहितैषी अपना केवल बिरसा कोही माना था।।

 

क्योंकि सबके लिए प्राण संकट मे अपने डाले थे।

यही लाडले अंग्रेजों से टक्कर   लेने   वाले थे।।

 

जाने कितने साथी रण में लड़ते-लड़ते मरे कटे।

आधुनिक हथियार नहीं थे लेकिन पीछे नहीं हटे।।

 

जाने किस ढाँचे  मे उसने सैनिक अपने ढाले थे।

यही लाडले अंग्रेजों से टक्कर  लेने   वाले  थे।।

 

अंग्रेजों से लड़ते  लड़ते बिरसा  मुंडा  जेल  गए।

अंग्रेजो ने जहर दिया बेचैन जान पर खेल गए ।।

 

वीर बहादुर बिरसा मुंडा सचमुच  के  रखवाले थे।

यही  लाडले  अंग्रेजों  से टक्कर  लेने  वाले थे।।

 

श्यामकिशोर बेचैन

पता-संकटा देवी बैंड मार्केट लखीमपुर खीरी

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