साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Tuesday, November 07, 2023

लिक्खेगी इतिहास चिरैया-नीरजा विष्णु 'नीरू'

नीरजा विष्णु 'नीरू'
कविता 
नन्हें पंखों से नापेगी 
यह पूरा आकाश चिरैया 
नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।।

उसको है मालूम घरौंदा 
अपना स्वयं बनाना होगा,
फिर सारे झंझावातों से भी 
खुद   उसे   बचाना  होगा 
सुख-दुःख से आगे जाने का 
कर लेगी अभ्यास चिरैया।

नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।।

जब दुनिया नफरत बोयेगी 
तब भी वह बस प्यार रचेगी,
नीले अम्बर की फुनगी पर 
सपनों का संसार रचेगी
हारों के भीतर भर देगी 
जीवन का उल्लास चिरैया।

नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।।

आज भले ही कैद करो तुम 
या फिर उसके पर काटो,
ऊँच-नीच और लिंग भेद का 
कितना ही कचरा पाटो,
जगवालों! इक रोज गगन पर 
लिक्खेगी इतिहास चिरैया ।

नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।।

जब तक चुप है; तब चुप है,
पर जब शौर्य  दिखाएगी..
हार नहीं मानेगी; जिस दिन 
जिद पर वो आ जाएगी..
बोल उठेगा तिनका-तिनका 
वाह! वाह! शाबाश चिरैया
नन्हें    पंखों    से   नापेगी 
यह  पूरा  आकाश  चिरैया।

नहीं सुनेगी किसी बाज की 
अब कोई बकवास चिरैया।

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