मुकेश वाळके बंगाली कैम्प, मूल रोड, शांतिनगर, चंद्रपुर(महाराष्ट्र) 442401 |
साहित्य
- जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
- लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
Wednesday, April 17, 2024
सदियों से लाईलाज बीमारी का डॉक्टर-मुकेश वाळके
Wednesday, January 24, 2024
राम अयोध्या लौटे हैं- एड. रमाकान्त चौधरी
एड. रमाकान्त चौधरी गोला गोकर्णनाथ, लखीमपुर खीरी। उत्तर प्रदेश, मो. 9415881883 |
राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा।
रिश्वतखोरी और दलाली अब ना होगी थानों पर।सदियों से शोषित पीड़ित जो वह स्वाभिमान पा जायेंगे।
शोषण करने वालों पर कोड़े बरसाए जायेंगे।
दीप जलेंगे खुशियों के गम के बादल छंट जायेंगे।
जातिवाद और ऊंच नीच के सब गड्ढे पट जायेंगे।
अब ना होगा जुल्म किसी पर जुल्मी मारा जायेगा।
राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा।
रोक लगेगी भारत भर के मक्कारों बेईमानों पर।
बालाएं अब घूम सकेंगी मेलों में बाजारों में।
दुष्कर्म नहीं हो पाएंगे अब ट्रेन बसों व कारों में।
राहजनी और लूटपाट अब कोई नहीं कर पायेगा।
राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा।
भात भात कहकर के कोई अब न मरेगी संतोषी।हर मानव अब सच बोलेगा अब सतयुग फिर से लौटेगा ।
झूठ बोलने वाला कोई दूर-दूर तक नहीं दिखेगा।
हर द्वारे पर गाय जनेंगी प्यारे-प्यारे बछड़ों को।
ताले अब लग जाएंगे भारत के बूच़डखानों को।
हर किसान खुशहाल रहेगा अब ना जान गंवाएगा।
राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा।
हर नंगा कपड़ा पायेगा हर भूख पायेगा रोटी।
मुनिया का अपहरण न होगा अब न बिकेगी कोठों पर।
मुजरिम को अब सजा मिलेगी न्याय न होगा नोटों पर।
सबके नाथ सियापति होंगे कोई न अनाथ कहायेगा।
राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा।
घर-घर जा साधु सन्यासी अब उपदेश सुनायेंगे ।आतंकवाद का दूर-दूर तक नामों निशां नहीं होगा।
गद्दारों का धड़ होगा सिर का पता नहीं होगा।
बेरोजगार अब कोई न होगा सबको मिलेगी अब रोजी।
देशद्रोहियों को मारेगा सरहद का इक-इक फौजी।
पुलवामा का किस्सा अब बिल्कुल न दोहराया जायेगा।
राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा।
राजनीति से दूर रहेंगे अपना फर्ज निभाएंगे।
धोखा देने वालों का निश्चित ही जेल पठाना है।
सच कहता हूं सुनो मित्रों मुझे अयोध्या जाना है।
राम राज्य आ जाने से अब परिवर्तन आयेगा।।
राम अयोध्या लौटे हैं अब राम राज्य आ जायेगा।।
Tuesday, November 07, 2023
लिक्खेगी इतिहास चिरैया-नीरजा विष्णु 'नीरू'
बुद्ध स्तुति-डॉ० कैलाश नाथ
डॉ० कैलाश नाथ (प्राचार्य) डॉ० भीमराव अम्बेडकर पी०जी० कॉलेज, मुराद नगर (पतरासी) लखीमपुर खीरी। मो- 9452107832 |
Thursday, October 26, 2023
बलत्कृत रूहें-सुरेश सौरभ
सुरेश सौरभ निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश पिन-262701 मो-7376236066 |
Wednesday, May 24, 2023
मैं गुनाहगार हूं- अखिलेश कुमार अरुण
अखिलेश कुमार 'अरुण' ग्राम- हज़रतपुर जिला-लखीमपुर खीरी मोबाईल-8127698147 |
Sunday, March 19, 2023
बोलना होगा-अखिलेश कुमार अरुण
अखिलेश कुमार अरुण ग्राम हजरतपुर परगना मगदापुर जिला लखीमपुर खीरी, उत्तर प्रदेश मोबाइल 8127698147 |
आज भी हमें, बराबरी करने देते नहीं हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
संविधान एक सहारा था उस पर भी हाबी हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
आदि-अनादि
काल के हम शासक न जाने कब हम गुलाम बन गए,
तूती
बोलती थी कभी हमारी और न जाने हम कब नाकाम हो गए
राज-पाट सब सौंप दिए या हड़प लिया गया हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
शिक्षा
के द्वार बंद कर दिए, किये हमें हमारे अधिकार से वंचित,
हम
कामगार लोग जीने को मजबूर थे, हो समाज में कलंकित।
गुणहीन न थे हम, हमको अज्ञानी बना दिए और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
जब
तुमने हम पर अत्याचार किया, जातीय प्रताड़ना किये,
गले में
मटकी कमर में झाड़ू और पानी को मोहताज किये,
छूने पर घड़ा आज भी जहाँ मार देते हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
अपनी बहन-बेटी
की आबरू को तुम्हारी विलासिता के लिए,
है, नांगोली
का स्तन काटना आज भी इस बात का प्रमाण लिए,
हाथरस की उस लड़की का कुनबा तबाह किए और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
अमनिवियता
को समर्पित भरे-पड़े तुम्हारे साहित्य पर,
जहाँ
लिखते हो पुजिये गुणहीन, मूर्ख सम विप्र चरण,
जहाँ, मानवीयता को सोचना ही पाप लिए हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
तुमने
पशु को माता कहा और एक वर्ण विशेष को अछूत,
गोबर को
गणेश कहा और तर्क करने को कहा बेतूक,
हम बने रहे मूर्ख, बेतुकी बातों को मानते गए और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
मंदिर
कौन जाता है किन्तु हमारे राष्ट्रपति को जाने नहीं दिए,
सत्ता
क्या गयी, बाद एक मुख्यमंत्री के जो कुर्सी धुलवा दिए,
बाद हमारे विधानसभा को शुद्ध करवाते हो और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें ।।
बोल ही
तो नहीं रहे थे-
लेकिन
अब बोलेंगे तुम्हारे गलत को ग़लत और सही को सच्च से,
मिडिया
तुम्हारी है फिर डरते हो तुम हमारी अनकही एक सच्च से
क्योंकि
तुम्हारे लाखों झूठ पर हमारा एक सच्च काफी है,
हम, इस रोलेक्टसाही में लोकतंत्र के मुखर आवाज हैं और सोचते हो कि हम कुछ न बोलें।
Tuesday, November 15, 2022
बिरसा मुंडा-रमाकांत चौधरी
Monday, June 06, 2022
पर्यावरण दिवस-विकास कुमार
Tuesday, May 24, 2022
प्यार का एहसास-विकास कुमार
विकास कुमार अन्छा दाउदनगर, औरंगाबाद बिहार |
Sunday, April 24, 2022
घायल है कानून व्यवस्था-रमाकान्त चौधरी
गोला गोकर्ण नाथ लखीमपुर खीरी मोब 94 15 88 18 83 |
Wednesday, March 30, 2022
जल तुम्हें बचाना है-विकास कुमार
जीवन बचाना चाहते हों तो, इस मीठी जल को तुम्हे बचाना होगा।
खुद में सुधार लाकर हम सबको, अच्छी आदत को अपनाना होगा।।
जल को मानिए अमृत हमसब थोडा–थोडा सा करके प्रयोग करे।
वर्षा के जल को बचाकर हम जल संरक्षण का लोग उपयोग करें।।
नदियों में कूड़ा–कचरा न डाले, जल को प्रदुषित ना करना होगा।
जीवन बचाना चाहते हों तो, इस मीठी जल को तुम्हे बचाना होगा।।
नीर, वारी, तोय, सलिल कितने सारे अनेको नाम है इसके।
साधारण सा दिखता है कितने सारे महत्वपूर्ण काम है इसके।।
जल के महत्व को जो ना समझें, उसे भी एक दिन पछताना होगा।
जीवन बचाना चाहते हों तो इस मीठी जल को तुम्हे बचाना होगा।
जल भी एक सीमित साधन है, करते हमसब मिलकर आराधन है।
हर बूंद है कीमती जल की, यह भविष्य का ही सबसे बड़ा धन है।।
साधारण ना समझे इसको, विशेष रूप से इसको समझना होगा।
जीवन बचाना चाहते हों तो, इस मीठी जल को तुम्हे बचाना होगा।
प्यारी सी तितली रानी-विकास कुमार
विकास कुमार |
आई आई नई नवेली, रंग बिरंगे तितली रानी।
देखने में लगती है बहुत अच्छी और मस्तानी।।
देखने से लगे छोटी, लेकिन इसकी बड़ी कहानी।
जितनी सीधी लगती है, कही उससे ज्यादा शैतानी।।
इसके है छोटे–छोटे से बाल–बच्चे अच्छे दिवाने।
कोई इसकी चाल–चलन को भी नही पहचाने।।
कोई बोले तितली रानी, कोई बोले पंख उड़ान।
इसमे ओ जादू है जिससे भटकाये बच्चो का ध्यान।।
रंग बिरंगे पंख है मेरे, जिससे मैं समझाना चाहती हूं।
एसे ही जिवन के सुख दुख है जिसे मैं बताना चाहती हूं।।
उड़ तुम भी सकते हो मानव, जोर ताकत तुम लगाओ।
अपने इस हौसले को, मेरी तरह सब को तुम दिखाओ।।
Wednesday, March 09, 2022
पूछ रहा है घायल-रमाकान्त चौधरी एडवोकेट
रमाकान्त चौधरी एडवोकेट |
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
समता और समानता वाले केवल भाषण होते हैं।
जनता को बहकाने के अच्छे आकर्षण होते हैं।
भीमराव के सपनों का भारत लुटा दिखाई देता है।
नेहरू पटेल गांधी का सपना टुटा दिखाई देता है।
प्रस्तावना रो देती उस दम सारे एक्ट लजाते हैं।
संविधान निर्माता को जब अनपढ़ गाली दे जाते हैं।
ग़द्दारों द्वारा संविधान के जब पृष्ठ जलाये जाते हैं।
उनके समर्थन के खातिर जयघोष कराये जाते हैं।
कोई रेपिया संसद जा कर मंत्री पद पा जाता है।
और माफिया गुंडा आ अधिकारी पर रौब जमाता है।
एक अनपढ़ नेता के आगे प्रशासन झुक जाता है।
शोषित पीड़ित वंचित को तब न्याय नहीं मिल पाता है।
पूछ रहा है घायल भारत इतनी क्यों लाचारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
अन्न उगाने वालों पर ऐसी भी हुकुमत चलती है।
फसलों के दाम नही मिलते बदले में लाठी मिलती है।
युवा घूमता परेशान है रोजगार को तरस रहा।
हक हकूक की बात करे तो उस पर डंडा बरस रहा।
बहू बेटियाँ नही सुरक्षित ये कैसी आजादी है।
घर से बाहर गर निकले तो अस्मत की बर्बादी है।
भारत की एकता पर ऐसे भी घाव बनाये जाते हैं।
जाति धर्म का ताना देकर युद्ध कराये जाते हैं।
माना धर्म का ज्ञान मिले तब मानव पूरा होता है।
पर संविधान की शिक्षा बिन सब ज्ञान अधूरा होता है।
लोकतंत्र का हत्यारा है वह भारत का दुश्मन है।
मानवता को भूल गया जिसे संविधान से नफ़रत है।
ऐसे लोगों पर भी क्यों सत्ता की चौकीदारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
शोषित पीड़ित वंचित कोई साहस कर जाता है।
अपनी मेहनत के बलबूते जब आगे बढ़ जाता है।
देख तरक्की उसकी तब कुछ बंदे शोर मचाते हैं।
मंचों पर चिल्लाकर वे आरक्षण गलत बताते हैं।
आरक्षण क्यों हुआ जरूरी प्रश्न खड़ा रह जाता है।
उनपर किसने जुल्म किये ये कोई नही बतलाता है।
संविधान जब मिला देश को तब उनको
अधिकार मिला।
अहसास हुआ जीने का उनको जीवन का आधार मिला।
संविधान ने ही नारी को अधिकार बराबर दिलवाया।
संविधान ने ही नारी को सम्मान बराबर दिलवाया।
लोकतंत्र की उचित व्यवस्था से पहचाना जाता है।
सर्वश्रेष्ठ दुनिया में भारत इसीलिए कहलाता है।
ऊंच नीच की फिर भारत में क्यों फैली बीमारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
जाने कितने शीश कटे थे तब भारत आजाद हुआ।
एक हुए जो बँटे हुए थे तब भारत आजाद हुआ।
सबने मिलकर जंग लड़ी थी तब भारत आजाद हुआ।
खून की नदियाँ खूब बहीं थी तब भारत आजाद हुआ।
कुर्बान किये माँओं ने बेटे तब भारत आजाद हुआ।
बहनों ने रण में भाई भेजे तब भारत आजाद हुआ।
दुल्हनों ने सिंदूर दिये थे तब भारत आजाद हुआ।
पिता ने लख्ते जिगर दिये थे तब भारत आजाद हुआ।
खून खराबा खूब हुआ था तब भारत आजाद हुआ।
काशी काबा नही हुआ था तब भारत आजाद हुआ।
माली बन कर की रखवाली देश के जिम्मेदारों ने।
नींद त्याग कर इसे बचाया देश के पहरेदारों ने।
आज लुट रहा अपना गुलशन कैसी पहरेदारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
अश्फाक बोस बिस्मिल आजाद का प्यारा भारत कहाँ गया।
राजगुरु, सुखदेव, भगत का प्यारा भारत कहाँ गया।
सोने की चिड़िया कहलाने वाला भारत कहाँ गया।
दिनकर, पंत निराला वाला प्यारा भारत कहाँ गया।
रहमान हों शामिल राम के दर्द में ऐसा भारत कहाँ गया।
राम बने हमदर्द रहीम के ऐसा भारत कहाँ गया।
लहू बहे न धर्म के नाम पे ऐसा भारत कहाँ गया ।
मर जाए कोई शर्म के नाम से ऐसा भारत कहाँ गया।
लहू बहाते बात - बात पे धर्म के ठेकेदार यहाँ।
धर्म के नाम से पनप गए हैं कुछ गुंडे गद्दार यहाँ।
मानवता को बेंच के सारे धर्म बचाने निकले हैं।
वस्त्र नोच के भारत माँ के मान बचाने निकले हैं।
अपनों की ही अपनों के प्रति ये कैसी गद्दारी है।
संविधान के अनुच्छेदों पर चलती रोज कटारी है।
Thursday, January 13, 2022
स्वामी विवेकानंद जयन्ती-कवि श्याम किशोर बेचैन
स्वामी विवेकानंद जयन्ती
जन्म 12.01.1863 मृत्यु 04.07.1902
स्वामी विवेकानंद को पढ़िए तो एक बार।।
बोले थे शिकागो में अपने धर्म के लिए।
दुनिया के युवाओं के श्रेष्ठ कर्म के लिए।।
बचपन से इनमे हो रहा था ज्ञान का विस्तार।
स्वामी विवेकानंद को पढ़िए तो एक बार।।
दुनिया के हर युवा के वो आधार बने थे।
स्वामी विवेकानंद सूत्रधार बने थे।।
तेजी देश में बढ़ा था इनका जनाधार।
स्वामी विवेकानंद को पढ़िए तो एक बार।।
थी आत्मा परमात्मा में आस्था अखण्ड।
लेकिन इन्हें पसंद नहीं था कोई पाखण्ड।।
हर एक युवा कर रहा था इनपे ऐतबार।
स्वामी विवेकानंद को पढ़िए तो एक बार।।
स्वामी विवेकानंद के आदेश के लिए।
बेचैन युवा चल पड़े थे देश के लिए।।
हर एक पे स्वतंत्रता का जोश था सवार।
स्वामी विवेकानंद को पढ़िए तो एक बार।।
Saturday, January 08, 2022
विश्व बौद्ध धम्म ध्वज-कवि श्याम किशोर बेचैन
कवि श्याम किशोर बेचैन |
08 जनवरी 1880
बौद्घ धम्म ध्वज के बारे में आओ जरा विचार करें ।
नजर अगर आए सच्चाई तो सादर स्वीकार करें ।।
आओ तथागत के ध्वज का आदर और सतकार करें ।
नजर अगर आए सच्चाई तो सादर स्वीकार करें ।।
बौद्ध धम्म का ध्वज दुनिया को देता है संदेश बड़ा ।
पंच शील का इस ध्वज में है छुपा हुआ उपदेश बड़ा ।।
बौद्ध धम्म के उपदेशों आओ हम विस्तार करें ।
नजर अगर आए सच्चाई तो सादर स्वीकार करें ।।
नीला रंग ये आसमान का कहता हृदय विशाल करो ।
पीला रंग ये बता रहा है जन जीवन खुशहाल करो ।।
आओ इन रंगो को अपने जीवन का आधार करें ।
नजर अगर आए सच्चाई तो सादर स्वीकार करें ।।
लाल रंग गतिशील बनाकर उर्जावान बनाता है ।
स्वेत रंग है शांति का सूचकऔर समृद्धि का दाता है ।।
रंगो के भावार्थ समझ कर खुद पर एक उपकार करें ।
नजर अगर आए सच्चाई तो सादर स्वीकार करें ।।
केसरिया रंग त्याग और बलिदान पाठ पढ़ाता है ।
बौद्ध धम्म का ध्वज मानव में मानवता भर जाता है ।।
चैन बेचैन को देने वाले धम्म का आओ प्रचार करें ।
नजर अगर आए सच्चाई तो सादर स्वीकार करें ।
Monday, January 03, 2022
माँ सावित्री बाई फुले- कवि श्याम किशोर बेचैन
Sunday, January 02, 2022
घुटन-अनुभूति गुप्ता
Wednesday, December 29, 2021
झूठ मचाता शोर-जयराम जय
Monday, December 27, 2021
स्त्री की पीड़ा-अनुभूति गुप्ता
अनुभूति गुप्ता संपादक/लेखिका |
कैसी होती हैं मानसिक यातनाएं
क्या होता है ढोना
क्या होता है एकाकी रोना....!
मुझे पता है
कैसी होती हैं सामाजिक धारणाएं
जिसमे कहा जाता है
स्त्री को बोझ, बांझ
और कहा गया परायाधन, विवाह के उपरांत..!
मुझे पता है
कैसी होती हैं परियों की कथाएं
क्या होता है बेटी का होना
कैसे भ्रूण से लेकर का सफ़र
परिवार में, जन्मी बेटी के, अस्तित्व का असर...!
मुझे पता है
कैसी होती हैं चेहरे पर की मात्राएं
कहने की आज़ादी का द्वंद
लगाएं गए हुए प्रतिबंध
विवशता से भरा मन, प्रतिपल आश्रित तन...!
पढ़िये आज की रचना
चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ
(फिल्म समीक्षा) एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...
सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.
-
डॉ० कैलाश नाथ (प्राचार्य) डॉ० भीमराव अम्बेडकर पी०जी० कॉलेज, मुराद नगर (पतरासी) लखीमपुर खीरी। मो- 9452107832 !! बुद्ध स्तुति !! हे बुद्ध...