साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Sunday, June 06, 2021

ग़ज़ल (नन्दी लाल)

आँधियों में पार कर देना   मुझे मझधार से।

नाव ने यह बात कर ली है नदी की धार से।।

 

वह कभी कीमत न समझे जान की पहचान की,

यह मुनाफा खोर    चौड़े हो गए व्यापार से।।

 

 भूख जब इन्सान  की बर्दाश्त से बाहर हुई,

 सर पटक कर मर गया तब आदमी दीवार से।।

 

 मौत का मंजर नजर में, फर्श पर लेटा हुआ ,

वह गुजारिश कर रहा बहरी हुई सरकार से।।

 

 बुझ गई जो झोपड़ी की आग दो सुलगा उसे,

 आ गई फिर से खबर उस बेरहम दरबार से।।

 

 काम में अपने बराबर    वह खड़ा मुस्तैद है,

 बेवजह की अब बहस करिए न चौकीदार से।।

 

 कोन जहरीली कहाँ है      कौन सेहत मंद हैं,

 आ रही उड़कर हवाएँ   यह समंदर पार से।।

 


नन्दी लाल

गोला गोकर्णनाथ खीरी


No comments:

पढ़िये आज की रचना

बहुजन समाज का संविधान बनाम सनातन-नन्दलाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर)

  ~~सूक्ष्म विश्लेषणात्मक अध्ययन~~  नन्दलाल वर्मा (सेवानिवृत्त एसोसिएट प्रोफेसर) युवराज दत्त महाविद्यालय लखीमपुर-खीरी 9415461224.        पिछ...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.