साहित्य
- जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
- लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
Tuesday, November 07, 2023
लिक्खेगी इतिहास चिरैया-नीरजा विष्णु 'नीरू'
Monday, June 07, 2021
ग़ज़ल (नीरजा विष्णु 'नीरू')
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नीरजा विष्णु 'नीरू' |
भला कब दर्द से आज़ाद हूँ मैं
ग़मो की इक बड़ी तादाद हूँ मैं।
तबस्सुम देखकर हैरान मत हो
लबों पर कांपती फरियाद हूँ मैं।
न कैसे दामन-ए-उम्मीद छोड़ूं
पता है जब कि उसके बाद हूँ मैं।
वो गुल जो टूटकर मुरझा गया हो
उसी ख़ुशबू सी बस बर्बाद हूँ मैं।
मसीहाई तुम्हारी देखनी थी
इसी ख्वाहिश में तो आबाद हूँ मैं।
मुझे ये जानकर अच्छा लगा है
कि तुमको आज तक भी याद हूँ मैं।
ख़ुदा ही जानता है ये हक़ीकत
कि ज़ख्मों की बड़ी उस्ताद हूँ मैं।
मेरे हालात पर हंसना न 'नीरू'
यही क्या कम है यूँ भी शाद हूँ मैं।
ग्राम व पोस्ट: भीखमपुर
जनपद: लखीमपुर खीरी(उत्तर प्रदेश) पिन कोड:262805
Friday, June 04, 2021
मेरी अभिकामना
"है मेरी अभिकमना, इस ब्लॉग पर यह 100 वीं रचना है, कम समय में रचनाओं का शतक पूरा कर लिया गया यह हमारे लिए हर्ष का विषय है. ब्लॉग 2014 से संचालित हैं जिस पर इक्का-दुक्का मेरे स्वंय की रचनाएँ ही प्रकाशित होती थीं जिले के नामचीन साहित्यकार सुरेश सौरभ के सुझाव से मई के अंतिम सप्ताह से अब यह ब्लॉग मेरा व्यक्तिगत न रहकर ऑनलाइन दुनिया में संपादन/प्रकाशन पर एक शोध के लिए आप सभी साहित्यकार मित्रों के लिये पटल का रूप ले लिया है. बहुत अधिक रचनाएँ प्राप्त होने लगी हैं. हम गौरान्वित हैं कि हमारा जिला भी साहित्य के क्षेत्र में अग्रणी है और इसे साहित्य के दुनिया में और आगे ले जाना है."
मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ,
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नीरजा विष्णु 'नीरू' |
टूटकर,
गिरकर, बिखरकर
एक नया आकार पा लूँ।
है मेरी अभिकामना
मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।
कंटकों से बैर कैसा ?
प्रेम क्या मुझको सुमन से ?
पथ मेरा ऐसा हो जिसपे
चलके मैं संस्कार पा लूँ।
है मेरी अभिकामना
मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।
जीत का लालच नही है
हार का भय भी नही,
हो वही परिणाम जिससे
कर्म का आधार पा लूँ।
है मेरी अभिकामना
मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।
मित्रवत मुझसे मिलें सब
शत्रुता जैसा न कुछ हो,
प्रेम हो चारों तरफ
ऐसा सुखद संसार पा लूँ।
है मेरी अभिकामना
मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।
भावनाओं के भंवर में
बह न जाये नाव मेरी
हो न कोई शेष तृष्णा
तृप्ति की पतवार पा लूँ।
है मेरी अभिकामना
मैं ज़िन्दगी का सार पा लूँ।
Email:
neerusolanki1090@gmail.com
ग्राम
व पोस्ट: भीखमपुर जनपद: लखीमपुर खीरी
(उत्तर
प्रदेश) पिन कोड:262805
पढ़िये आज की रचना
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(कविता) (नोट-प्रकाशित रचना इंदौर समाचार पत्र मध्य प्रदेश ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-1 , वुमेन एक्सप्रेस पत्र दिल्ली से दिनांक ११ मार्च २०२५ ...

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