साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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Sunday, April 24, 2022

संतू जाग गया, पक्की दोस्ती का विमोचन सम्पन्न हुआ

    पुस्तक विमोचन   
संतू जाग गया, पक्की दोस्ती विमोचन सम्पन्न लखीमपुर खीरी आज सनातन धर्म विद्यालय में परिवर्तन फाउंडेशन संस्था के तत्वावधान में एक काव्य-गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसमें गोला गोकर्णनाथ से मुख्य  अतिथि के रूप में वरिष्ठ कवि नंदी लाल विशिष्ट अतिथि कवि  समाजसेवी  द्वारिका प्रसाद रस्तोगी ने, डॉ मृदुला शुक्ला "मृदु" की कहानी संग्रह 'संतू जाग गया' और सुरेश सौरभ की कृति पक्की दोस्ती लघुकथा संग्रह का विमोचन किया। मुख्य वक्ता प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ राकेश माथुर ने पुस्तकों की समीक्षा  प्रस्तुत करते हुए कहा मृदुला की कहानियां गद्य गीत की तरह मार्मिक और हार्दिक हैं वहीं सौरभ की पक्की दोस्ती की बाल कहानियां बच्चों के लिए प्रेरणा दायक है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे शिक्षाविद् सत्य प्रकाश शिक्षक ने कहा रचनाकार सूर्य की तरह है जो समाज को सूर्य की तरह ही आलोकित करता है। सिधौली से पधारे  "श्रमवीर" कृति के रचयिता  देवेन्द्र कश्यप 'निडर' ने कहा सौरभ जी की रचनाओं में युगीन समय बोध है।

कार्यक्रम का संचालन कर रहे कवि श्याम किशोर बेचैन और शायर कवि विकास सहाय ने अपने बेहतरीन अंदाज से कविता पाठ करके सभा में समां बांध दिया। गोला गोकर्णनाथ के संत कुमार बाजपेई संत, रमाकांत चौधरी, डॉ शिव चन्द्र प्रसाद, हरगांव के युवा कवि विनोद शर्मा "सागर" नकहा के नवोदित कवि दुर्गा प्रसाद नाग, रंजीत बौद्ध, इन्द्र पाल, मृदुला शुक्ला, द्वारिका प्रसाद रस्तोगी ने भी सुमधुर काव्य पाठ किया। सरदार जोगिंदर सिंह चावला, अखिलेश अरूण, चंदन लाल वाल्मीकि, ने साहित्य की प्रासंगिकता पर विचार प्रकट किए। बालिका मानसी, रूपांसी, अपूर्वा शाक्य,  पूर्णिमा शाक्य ने भी कविता पाठ किया। संयोजक श्याम किशोर बेचैन ने अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। सभा में शमशुल हसन उर्मिला शुक्ला, राम बाबू, मनीष गौतम, राज कुमार वर्मा, आदि काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।

Thursday, January 13, 2022

स्वामी विवेकानंद जयन्ती-कवि श्याम किशोर बेचैन

स्वामी विवेकानंद जयन्ती
जन्म 12.01.1863                                         मृत्यु 04.07.1902
 

कुछ  भी ना  पूछना पड़ेगा  हमसे  बार बार।
स्वामी  विवेकानंद  को  पढ़िए तो  एक बार।।
 
बोले  थे  शिकागो  में  अपने  धर्म  के  लिए।
दुनिया  के  युवाओं  के  श्रेष्ठ  कर्म  के लिए।।
 
बचपन से इनमे हो रहा था ज्ञान का विस्तार।
स्वामी  विवेकानंद  को  पढ़िए तो  एक बार।।
 
दुनिया के  हर  युवा के  वो  आधार  बने  थे।
स्वामी    विवेकानंद     सूत्रधार    बने थे।।
 
तेजी  देश  में   बढ़ा   था   इनका जनाधार।
स्वामी  विवेकानंद  को  पढ़िए तो  एक बार।।
 
थी  आत्मा  परमात्मा   में  आस्था  अखण्ड।
लेकिन  इन्हें  पसंद  नहीं था  कोई  पाखण्ड।।
 
हर  एक  युवा  कर  रहा  था  इनपे  ऐतबार।
स्वामी  विवेकानंद  को  पढ़िए  तो एक बार।।
 
स्वामी   विवेकानंद   के   आदेश   के  लिए।
बेचैन  युवा   चल   पड़े   थे  देश  के लिए।।
 
हर  एक पे  स्वतंत्रता  का  जोश  था  सवार।
स्वामी  विवेकानंद  को  पढ़िए  तो एक बार।।

पता-
संकटा देवी बैंड मार्केट लखीमपुर खीरी

Saturday, January 08, 2022

विश्व बौद्ध धम्म ध्वज-कवि श्याम किशोर बेचैन

कवि
श्याम किशोर बेचैन
विश्व बौद्ध धम्म ध्वज दिवस  पर विशेष    
08 जनवरी 1880


बौद्घ  धम्म ध्वज  के बारे में  आओ जरा  विचार करें ।
नजर अगर आए  सच्चाई  तो  सादर   स्वीकार  करें ।।

आओ तथागत के ध्वज का आदर और सतकार करें ।
नजर  अगर आए सच्चाई तो सादर स्वीकार करें ।।

बौद्ध धम्म का  ध्वज दुनिया  को देता है  संदेश बड़ा ।
पंच शील का इस ध्वज में है छुपा हुआ उपदेश बड़ा ।।

बौद्ध  धम्म  के  उपदेशों   आओ  हम  विस्तार  करें ।
नजर  अगर आए  सच्चाई तो  सादर  स्वीकार  करें ।।

नीला रंग ये आसमान का कहता हृदय विशाल करो ।
पीला रंग ये बता रहा है  जन जीवन  खुशहाल करो ।।

आओ  इन  रंगो को  अपने  जीवन का  आधार करें ।
नजर  अगर आए  सच्चाई तो  सादर  स्वीकार  करें ।।

लाल  रंग  गतिशील  बनाकर   उर्जावान  बनाता  है ।
स्वेत रंग है शांति का सूचकऔर समृद्धि का दाता है ।।

रंगो के भावार्थ समझ कर खुद पर एक उपकार करें ।
नजर  अगर आए  सच्चाई तो  सादर  स्वीकार  करें ।।

केसरिया  रंग  त्याग और  बलिदान  पाठ  पढ़ाता है ।
बौद्ध धम्म का ध्वज मानव में मानवता भर जाता है ।।

चैन  बेचैन को  देने वाले  धम्म का आओ प्रचार करें ।
नजर  अगर आए  सच्चाई  तो  सादर  स्वीकार  करें ।

पता-संकटा देवी बैंड मार्केट लखीमपुर खीरी

Monday, January 03, 2022

माँ सावित्री बाई फुले- कवि श्याम किशोर बेचैन

  सावित्री बाई पर विशेष                                                                                             कविता                            
जन्म 03 जनवरी 1831                                                                              मृत्यु 10 मार्च 1897

मां  सावित्री  बाई  फूले  को 
नमन   हजारों   बार   करें |
समझें उनका त्याग और तप 
फिर  उनका  सतकार करें ||

अट्ठारह  सौ  इकत्तीस  की 
तीस  जनवरी  खास  बनी |
जन्मी  सावित्री  बाई  और 
दुनियां  का  इतिहास बनी ||

आओ हम भी सादर उनको 
भेट   पुष्प   उपहार   करें |
समझें उनका त्याग और तप 
फिर  उनका  सतकार करें ||

पिता श्री खांडोजी नेवसे 
पाटिल  एक  किसान  थे |
मांता  पूज्य  लक्ष्मी  बाई 
पति  जोतिबा  महान  थे ||

सहयोगी  फातिमा  शेख का 
याद   सदा   उपकार   करें |
समझें उनका त्याग और तप 
फिर  उनका  सतकार  करें ||

जब भारत में महिलाओं को 
पढ़ने  का  अधिकार ना था |
किसी  क्षेत्र  में  नर  से आगे 
बढ़ने  का अधिकार ना था ||

तब  शिक्षा अपनाई जिन्होंने
उनका प्रकट आभार करें |
समझें उनका त्याग और तप 
फिर उनका सतकार करें ||

शिक्षा से वंचित लोगों को
शिक्षा का अधिकार दिया |
घर से  बेघर होकर के भी 
विद्यालय  उपहार  दिया ||

उनके  विद्यालय  का  सपना 
आओ  हम   साकार   करें |
समझें उनका त्याग और तप 
फिर  उनका  सतकार करें ||

संत  जोतिबा  राव  फुले ने 
सावित्री  को   ज्ञान  दिया |
और  सावित्री  बाई फूले ने 
नारी  को   सम्मान  दिया ||

नारी  के  सम्मान   का  फिर 
आओ  हम   विस्तार   करें |
समझें उनका त्याग और तप 
फिर  उनका  सतकार  करें ||

नेकी के  खातिर  अपनो ने 
घर से जिन्हें निकाल दिया |
सामन्ती  लोगों  ने  जिनके 
ऊपर  कीचड़  डाल दिया ||

प्रथम शिक्षिका का यह सच
आओ  हम  स्वीकार  करें |
कवि श्याम किशोर बेचैन 
बक्सा मार्किट, लखीमपुर-खीरी
मोबाइल न 9125888207
समझें उनका त्याग और तप 
फिर  उनका  सतकार करें ||

जिन्होंने अपना सारा जीवन 
मानवता   के   नाम   किया |
जिन्होंने चैन दिया बेचैन को 
और  राष्ट्रहित  काम  किया ||

ऐसी   विद्या   की   देवी  पर 
आओ  और   विचार   करें |
समझे उनका त्याग और तप 
फिर  उनका  सतकार  करें ||

 

Sunday, November 21, 2021

वीरांगना रानी लक्ष्मी बाई-श्याम किशोर बेचैन

रोक सके रानी को रण में ऐसा कोई दिखा नही |
झांसी की रानी के आगे योद्धा कोई टिका नही ||

काशी में जन्मी मर्दानी नाम पड़ा लक्ष्मी बाई |
मोरेपंत पिता कहलाए माता भागीरथी बाई ||
जीते जी दुश्मन के आगे रानी का सर झुका नही |
झांसी की रानी के आगे योद्धा कोई टिका नही ||

बचपन सेवो नानाके संग पढ़ी लिखी खेली खाई |
ब्याह हुआ गंगा धर से तो गंगा धर के घर आई ||
युद्ध कला का कौशल कोई रानी से था बचा नही |
झांसी की रानी के आगे योद्धा कोई टिका नही ||

बचपन मे मां को खोया पति और पुत्र जवानी मे |
फिर भी साहस और पराक्रम बना रहा मर्दानी मे ||
दामोदर को गोद लिया है दीप आस का बुझा नही |
झांसी की रानी के आगे योद्धा कोई टिका नही ||

वारिस को वारिस ना माना राज पाट से दूर किया |
अंग्रेजों ने महल छोड़ कर जाने पे मजबूर किया ||
दूरहुआ मजबूर हुआ पर अटल कारवां रुका नही |
झांसी की रानी के आगे योद्धा कोई टिका नही ||

रणचंडी बन खड़ी हुई तो गद्दारों को भी मारा |
अंग्रेजों से खूब लड़ी और हत्यारों को भी मारा ||
जिसपे तेग उठी रानी की वोतो फिर है उठा नही |
झांसी की रानी के आगे योद्धा कोई टिका नही ||

एक जगाह जब रानी का घोडा आके ठहर गया |
तभी जोर का एक वार रानी के सरपे उतर गया ||
वैसे वो हत्यारा जिंदा कहीं किसी को दिखा नही |
झांसी की रानी के आगे योद्धा कोई टिका नही ||

लेआए हैं साथी घायल झांसी वाली रानी को |
लेकिन बचा नही पाए बेचैन वीर मर्दानी को ||
जैसे वो मिट गई देश पर ऐसे कोई मिटा नही |
झांसी की रानी के आगे योद्धा कोई टिका नही ||

कवि श्याम किशोर बेचैन 
संकटा देवी बैंड मार्केट लखीमपुर खीरी

Monday, June 21, 2021

पिता शिक्षक पिता रक्षक-श्यामकिशोर बेचैन

  पिता दिवस पर विशेष। 
श्याम किशोर बेचैन


पिता शिक्षक पिता रक्षक
पिता  ही  अन्न दाता  है।
पिता सांसो की सरगम है 
पिता ज्ञानी  है ज्ञाता  है।।
पिता हंसना  सिखाता  है 
पिता चलना सिखाता है।
पिता से  है  मेरा  जीवन 
पिता मेरा   विधाता   है।।

पिता से परवरिश मिलती 
पिता से प्यार मिलता है।
पिता  की  छत्र  छाया में 
पिता का सार मिलता है।
पिता से तख्त मिलता है 
पिता से ताज मिलता है।
पिता की जब जरूरत हो 
पिता  तैयार  मिलता है ।।

पिता साहस पिता साहिल 
पिता  सम्मान  है  मेरा ।
पिता  से है  मेरी  दुनियां 
पिता  भगवान  है मेरा ।।
पिता कुछ सख्त है लेकिन 
पिता ही घर चलाता है ।
पिता   हमदर्द   है   मेरा 
पिता  अरमान  है मेरा ।।

पता-बक्सा बाजार संकटादेवी,
लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश

Sunday, June 20, 2021

20 जून पितृदिवस-श्याम किशोर बेचैन

सबल भाई की निर्बल भाई

पर  गुंडा  गर्दी  ना  होती ।

काश पिता जीवित होता तो

ऐसी  सरदर्दी  ना   होती ।।

 

सबका अपना हिस्सा होता

सबका  अपना घर  होता ।

होता  सच्चा  प्यार  सामने 

झूठी  हमदर्दी  ना  होती ।।

 

हांथ पिता का सर पे होता

तो अनाथ  ना  कहलाता ।

और  जमाने  भर में  मेरी

ऐसी बे कदरी  ना  होती ।।

 

पिता एक अंकुश होता है

पिता   हौसला   होता  है ।

पिता नही होता तो शायद

तनपे कोई वर्दी ना होती ।।

 

पिता के दम से मान हुआ

पूरा  हर  अरमान  हुआ ।

पिता के होते हावी मुझपर

गर्मी और सर्दी ना होती ।।

 

हर बच्चे को मिलता चैन

होता   ना  कोई   बेचैन ।

पिताके होते दुनियां ऐसी

जालिम बेदर्दी ना होती ।।

 


कवि श्याम किशोर बेचैन

संकटा देवी बैंड मार्केट

लखीमपुर खीरी

Saturday, June 19, 2021

वीरांगना झलकारी बाई- कवि श्याम किशोर बेचैन

जन्म 22 नवम्बर 1830 मृत्यु 04 अप्रैल 1857


झलकारी का शौर्य पराक्रम 

जब झांसी में आम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

बाइस, ग्यारह, अट्ठारह सौ 

तीस को जन्मी झलकारी ।

अट्ठारह सौ सत्तावन में 

कहेर बन गई चिनगारी ।।

 

तेग उठी जब झलकारी की 

सेना मे कोहराम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

पिता सदोवर माता जमुना 

पति पूरन जांबाज मिले ।

इन्ही से अंग्रेजों पर भारी 

पड़ने के अंदाज मिले ।।

 

जोभी सामने आया दुश्मन 

उसका काम तमाम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

शेर से जब वो लड़ी शेरनी 

शेर से छक्के छूट गए ।

जितने डाकू घुसे गांव में 

सबके पसीने छूट गए ।।

 

झलकारी के इस साहस का 

चर्चा सुबहो शाम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

झलकारी की झलक देखके

रह ना सकी लक्ष्मी बाई ।

थी हमशक्ल महारानी की 

योद्धा झलकारी बाई ।।

 

बना दिया सेना मे नायक

फिर सेना में काम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

रानी जब घिर गई महल में 

तब झलकारी खूब लड़ी ।

बचाके अपनी महारानी को 

अंग्रेजों पर टूट पड़ी ।।

 

चार अप्रैल को मिटी शेरनी 

रण वीरों में नाम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 

पीठपे जो बेटे को लेके 

गोरों से टकराई थी ।

भूला दिया गोगों ने जिसको 

वो झलकारी बाई थी ।।

 

जाने क्यों इतिहास में ये 

बेचैन नाम गुमनाम हुआ ।

अंग्रेजों की नीद उड़ गई 

और आराम हराम हुआ ।।

 


पता-संकटा देवी बैंड मार्केट लखीमपुर खीरी

 

Monday, June 14, 2021

रक्तदान दिवस-श्यामकिशोर बेचैन

14 जून विश्व रक्तदान दिवस पर विशेष

 


रक्तदान से बच सकता है जीवन हर इंसान का ।

सबको अर्थ जानना होगा दुनियां में रक्तदान का ।।

 

रक्तदान करने के अपने नियम कायदे होते हैं ।

रक्तदान करने वालों के बड़े फायदे होते हैं ।।

रक्त का दानी रूप दूसरा होता है भगवान का ।

सबको अर्थ जानना होगा दुनियां में रक्तदान का ।।

 

हार्ट और कैंसर का खतरा रक्तदान से टलता है ।

रक्तदान करते रहने से मिलती बड़ी सफलता है ।।

रक्तदान से भला ही होगा तर्क है ये विज्ञान का ।

सबको अर्थ जानना होगा दुनियां में रक्तदान का ।।

 

उम्र है अट्ठारह से ऊपर तो बेचैन ये दान करो ।

हो पचास केजी के तो फिर पूरा ये अरमान करो ।।

बदला नही चुका सकता है कोई इस अहसान का ।

सबको अर्थ जानना होगा दुनियां में रक्तदान का ।।

पता-संकटा देवी बैंड मार्केट लखीमपुर खीरी

Saturday, June 12, 2021

मत छीनो बचपन -कवि श्याम किशोर बेचैन

  12 जून, विश्व बालश्रम दिवस पर विशेष  

 


खेल कूद की उम्र है जिनकी उन्हें खेलने खाने दो ।

बच्चो से मत छीनो बचपन उनको हसने गाने दो ।।

 

भूख गरीबी लाचारी मजबूर बहुत कर देती है ।

बच्चों को अपने बचपन से दूर बहुत कर देती है ।।

उनको मत मजदूर बनाओ शिक्षा उनको पाने दो ।

बच्चों से मत छीनो बचपन उनको हसने गाने दो ।।

 

वंचित भी शिक्षा पाने को विद्यालय जा सकता है ।

अपने हुनरसे भारत का परचम लहरा सकता है ।।

झाड़ू पोछा के आगे का उनको ख्वाब सजाने दो ।

बच्चों से मत छीनो बचपन उनको हसने गाने दो ।।

 

तुमसे जितना हो पाए तुम उतना सहयोग करो ।

ऐसे बच्चों पर अपनी मानवता का प्रयोग करो ।

करना ना बेचैन उन्हें इनको भी खुशी मनाने दो ।।

बच्चों से मत छीनो बचपन उनको हसने गाने दो ।।

पता-संकटा देवी बैंड मार्केट लखीमपुर खीरी


पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

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