लघुकथा एक मंदिर। एक पंडित। एक दूल्हा। उसके साथ एक बराती, उसका बाप। एक दुल्हन। उसके साथ एक घराती उसकी मां। बाकी सब जगह कोरोना। शादी मंदिर में हो गई। शादी के बाद उनके सुख से दिन बीतने लगे। दो बच्चे हुए। वे बरसों बाद जवान हुए। एक बेटी की शादी की।अपनी प्रतिष्ठा और परंपराओं की खातिर लाखों खर्च किए। उन पर कर्जा हुआ। वह बहुत परेशान हुए। खर्चे को लेकर पति-पत्नी में वाद-विवाद हुआ। तब कुढ़कर पत्नी बोली-कोरोना काल की ही शादी बढ़िया थी-न ज्यादा झंझट न, झूठी परंपराओं के सिरदर्द का बोझ। निर्मल नगर लखीमपुर खीरी पिन-262701 मो-7376236066 |
साहित्य
- जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
- लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
Saturday, June 19, 2021
कोरोना में शादी- सुरेश सौरभ
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पढ़िये आज की रचना
मौत और महिला-अखिलेश कुमार अरुण
(कविता) (नोट-प्रकाशित रचना इंदौर समाचार पत्र मध्य प्रदेश ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-1 , वुमेन एक्सप्रेस पत्र दिल्ली से दिनांक ११ मार्च २०२५ ...

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