साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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Friday, June 04, 2021

ग़ज़ल ( देवेन्द्र कश्यप 'निडर')


देवेन्द्र कश्यप 'निडर'


हाय ! कैसे दिन  यहाँ  पर आ गये ।

झूठ  के  जलवे  यहाँ  पर छा गये ।।

 

कल तलक  जो थे  बड़े भोले भले ।

बेंच  कर औकात  अपनी खा गये ।।

 

हाथ  जोड़े   जो   खड़े   थे  नाटकी ।

अब कड़क तेवर बदल कर ला गये ।।

 

कल शपथ ली आम जनता के लिए ।

आज  जनता की कमी को गा गये ।।

 

थे  छपे  अखबार   में   कर्मठ  कभी ।

अब करोड़ों के लिए  बिक  धा गये ।।

 

जो   लफंगें   थे    कभी   नेता   बने ।

सभ्यता  का  ताज  अब  वे पा गये ।।

 

छानते  थे  खाक   गाँवों  में  'निडर'

शहर  के  घर आज उनको भा गये ।।

ग्राम अल्लीपुर पत्रालय कुर्सी तहसील सिधौली 

जिला सीतापुर, पिन कोड – 261303

पढ़िये आज की रचना

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