साहित्य

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  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Sunday, June 20, 2021

20 जून पितृदिवस-श्याम किशोर बेचैन

सबल भाई की निर्बल भाई

पर  गुंडा  गर्दी  ना  होती ।

काश पिता जीवित होता तो

ऐसी  सरदर्दी  ना   होती ।।

 

सबका अपना हिस्सा होता

सबका  अपना घर  होता ।

होता  सच्चा  प्यार  सामने 

झूठी  हमदर्दी  ना  होती ।।

 

हांथ पिता का सर पे होता

तो अनाथ  ना  कहलाता ।

और  जमाने  भर में  मेरी

ऐसी बे कदरी  ना  होती ।।

 

पिता एक अंकुश होता है

पिता   हौसला   होता  है ।

पिता नही होता तो शायद

तनपे कोई वर्दी ना होती ।।

 

पिता के दम से मान हुआ

पूरा  हर  अरमान  हुआ ।

पिता के होते हावी मुझपर

गर्मी और सर्दी ना होती ।।

 

हर बच्चे को मिलता चैन

होता   ना  कोई   बेचैन ।

पिताके होते दुनियां ऐसी

जालिम बेदर्दी ना होती ।।

 


कवि श्याम किशोर बेचैन

संकटा देवी बैंड मार्केट

लखीमपुर खीरी

पढ़िये आज की रचना

मौत और महिला-अखिलेश कुमार अरुण

(कविता) (नोट-प्रकाशित रचना इंदौर समाचार पत्र मध्य प्रदेश ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-1 , वुमेन एक्सप्रेस पत्र दिल्ली से दिनांक ११ मार्च २०२५ ...

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