साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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Sunday, June 06, 2021

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष- लक्ष्मी पाण्डेय

लक्ष्मी पांडे

साहित्य के नवांकुर

काटे हैं हमने पेड़ भी  दीवान के लिए ।

छोड़े नही पहाड़ भी , मकान के लिए ।।

 

वसुधा के साथ खेल इतना ठीक नहीं है ।

खतरा है ये बहुत बड़ा इंसान के लिए ।।

 

सांसों के लिए सांस, जो ले रहे हैं हम ।

सांस नहीं जहर है, अपनी जान के लिए ।।

 

पीने के योग्य पानी बहुत ही, कम है दोस्तों ।

रखना है सुरक्षित ये जल, जहान के लिए ।।

 

अब पैलोथिन भी बन गई है शत्रु देखिए ।

कोई विकल्प ढूंढिए भावी-भविष्य के लिए ।।

 

अब लक्ष्य घर की लक्ष्मी को साधना होगा ।

इंसानियत के इस धर्म और ईमान के लिए ।।

पता-नहर रोड निकट बुद्ध बिहार लखीमपुर

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

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