साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Wednesday, June 09, 2021

कोई हो जो साथ दे- अल्का गुप्ता

  साहित्य के नवांकुर 

अल्का गुप्ता

हर किस्सा जिंदगानी का अजीब सा  है

क्यूं कहता है कोई? तूं खुशनसीब सा है

ग़म में मुस्काना भी एक तरकीब सा है

कोई हो जो साथ दे!

 

उल्फत में, हाथ-स्पर्श  वो करीब सा है

दर्द अश्कों का मेरे यार  तरतीब सा है

ग़म में मुस्काना भी एक तरकीब सा है

कोई हो जो साथ दे!

 

नावाकिफ, अपना बेशक वह गरीब सा है

तन्हा नहीं दौर-ए-आज वह अदीब सा है

तकलीफ में साथ दे, दिल-ए-करीब सा है

कोई हो जो साथ दे!

पता-लखीमपुर खीरी उ०प्र०

No comments:

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.