साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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Tuesday, August 16, 2022

युगीन दस्तावेज तालाबंदी-रंगनाथ द्विवेदी

पुस्तक समीक्षा 

तालाबंदी

नई दिल्ली, श्वेत वर्णा प्रकाशन से प्रकाशित देश के सर्वाधिक पढ़े जाने वाले लघुकथाकारों का एक अविस्मरणीय संकलन तालाबंदी  हैं जो कोरोना काल के हर दर्द और पीड़ा की उन असंख्य सांसों पर लिखी गई हैं जिसे खुद लघुकथा लेखकों ने देखा व जिया है‌। यह कोरोना काल की वह "तालाबंदी" है जो कहीं ना कहीं सरकार की नाकामी के कालर को भी जनहित में पकड़ने और झिझोड़ने से बाज नहीं आती,शायद ऐसे ही कुछ बागी बेटे हर युग में, यह कलम पैदा करती रहती है।
     इस लघुकथाओं साझा संग्रह का संपादन खुद राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चित युवा लघुकथाकार सुरेश सौरभ ने किया है। ये कोरोना काल के अब तक प्रकाशित सारे पुस्तक संकलनों में ऐसा संकलन है जिसकी हर लघुकथा को आप इस विश्व-विभीषिका के उस "आंसूओं" की तरह पढ़ सकते हैं जैसे छायावाद में जय शंकर प्रसाद के आंसू को लोग पढ़ते है।
इतनी बेहतरीन प्रिटिंग और छपाई के साथ कोई अन्य प्रकाशक होता तो मेरा दावा है कि वह इस संपादित पुस्तक की कीमत कम से कम अपने पाठकों  से पांच सौ रुपए वसूलता, लेकिन संपादक और प्रकाशक की इच्छा थी कि,इस विभीषिका के दर्द और पीड़ा से कुछ कमाने से बेहतर है कि यह संकलन सर्वाधिक लोगों के द्वारा खरीदा और पढ़ा जाए इसके लिए उन्होंने इस लघुकथा संकलन की कीमत मात्र 199/ रुपए निर्धारित की है।
   आने वाली हमारी पीढ़ियां जब भी कभी लघुकथा के रुप में संकलित हमारी इस पुस्तक रुपी वसीयत के पन्ने पलटेगी, तो उन्हें लगेगा की हमारे देश ने एक ऐसा हादसा भी कभी जिया था, जब मानवीय संवेदना से भी कहीं ज्यादा  लाशें इस देश के स्वार्थ संवेदना की पड़ी थी।इस लघुकथा संकलन में कुल 68 लघुकथा लेखकों की लघुकथाएं शामिल हैं।
              सौरभ जी लिखी संपादकीय विचारोत्तेजक और भावनात्मक शैली से लबरेज है।

पुस्तक -तालाबंदी
प्रकाशन श्वेत वर्णा प्रकाशन नई दिल्ली।
 मूल्य -199

जज कॉलोनी, मियापुर
जिला--जौनपुर 222002 (U P)
mo.no.7800824758
rangnathdubey90@gmail.com

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