साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Monday, June 14, 2021

शब्द मौन, अर्थ बौने हो गये हैं-अल्का गुप्ता

अल्का गुप्ता
शब्द मौन, अर्थ बौने हो गये हैं 
दृश्य मानव के, घिनौने हों गये हैं!!

वेदना में लिपटी हैं अनुकंपाए
भाव कलह के, डिठौने हो गये हैं!!

स्पर्श,अंकमाल हुए श्राप ज्यों 
वायरल चीनी, किरौने हो गये हैं!!

शांत हैं पुरूषार्थ सर्व पराक्रम
सुषुप्त शांति के, बिछौने हो गये हैं!!

विश्व के निर्धन, मुर्छित हाथ बांधे
बिलखते खाली, भगौने हो गये हैं!!

सभी विकासशील प्रणालियों की
इकाइयों के, औने-पौने हो गये हैं!!

दिनकर की प्रकाशित ज्वाला में भी
ग्रीष्म के सुर, आगि लगौने हो गये हैं!!

पता-लखीमपुर खीरी उ०प्र० २६२७०१

पढ़िये आज की रचना

मौत और महिला-अखिलेश कुमार अरुण

(कविता) (नोट-प्रकाशित रचना इंदौर समाचार पत्र मध्य प्रदेश ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-1 , वुमेन एक्सप्रेस पत्र दिल्ली से दिनांक ११ मार्च २०२५ ...

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