साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
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Thursday, June 03, 2021

कोरोना काल की, त्रासदियों की लघुकथाएँ आमंत्रित

साहित्यिक आमंत्रण

 साहित्यकार समाज का सजग प्रहरी होता है। समय की धारा को अपनी लेखनी से लिपबिद्ध करता चले, यह उसका दायित्व भी होता है। दरबारी भांड,चारण, रीतकालीन जैसे लेखक हमेशा रहें हैं और हमेशा रहेंगे। नीर-क्षीर ढंग से अपनी बात कहना ही हमारा लेखकीय कर्म होना चाहिए, इस संग्रह में ऐसे ही रचनाकारों का हृदय से स्वागत है।

अपनी दो या तीन लघुकथाएँ नीचे लिखी हमारी मेल पर वर्ड फाइल में भेजें (चित्र नहीं)

पुस्तक का प्रकाशन राष्ट्रीय स्तर पर, दिल्ली का शीर्ष प्रकाशन करेगा, जो अमेजॉन और फ्लिपकार्ड पर उपलब्ध रहेगी। रचनाएँ चयनित होने पर, ईबुक और पीडीएफ लेखकों को निःशुल्क मिलेगी, चाहे तो हार्ड कापी 30% छूट के साथ खरीद सकते हैं। लघुकथाएं लगभग तीन सौ से पांच सौ शब्दों की बेहतर रहेंगी।

 

 विशेष- लघुकथाएँ भेजने की अंतिम तिथि 20 जून 2021

 

 संपादक-सुरेश सौरभ

  मो-7376236066

Email-sureshsaurabhlmp@gmail.com

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

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