साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०
Showing posts with label मोहनलाल यादव. Show all posts
Showing posts with label मोहनलाल यादव. Show all posts

Friday, June 18, 2021

इंकलाब जयघोष गगन में- मोहन लाल यादव

 भोजपुरी कविता 

केतना  दुखड़ा  गाई  भाइ

केतना  दरद  छिपाई भाइ

गरज रही बा बेरोजगारी

बरस रही  महंगाई  भाइ

चारिउ ओरिया ठगहारी बा

कइसे  देश  बचाई  भाइ

राजा भ बेइमान के संगी

केसे अरज  सुनाई भाइ

छल प्रपंच  के हरियर  खेती

सत्य फसल कुम्हिलाई भाइ

हम किसान के जिनगी दूभर

रक्तन  आँस  चुवाई  भाइ

दागी  भइली राम चदरिया

रामउ  गए  बिकाई  भाइ

सभै अहैं मतलब के साथी

केसे  करी  मिताई  भाइ

बहुतै भारी  बिपत गठरिया

गई  बहुत  गरुआई  भाइ

इंकलाब जयघोष गगन में

तब  दुश्मन  थर्राई  भाइ



ग्राम- तुलापुर, झूँसी, प्रयागराज यूपी

मोबाइल-9956724341

Saturday, May 29, 2021

कोरोना की त्रासदी पर एक मार्मिक सोहर गीत

 पुरबी के जनक 'महेद्र मिश्र' – अभिव्यक्ति 

                           सोहर

उठेला कोरोना के लहरिया, मचल हाहाकरिया हो

चारिउ ओरिया मौत के खबरिया नगरिया बेहाल भए हो

 

नाही अस्पताल मे जगहिया मिलैं,नाही डागडरवा मिलैं हो

बेड नाहीं मिले ,ना मिले  दवइया, मनइया बेहाल भए हो

 

नाहीं ऑक्सीजन गैसिया, घुटन लागी संसिया हो..

जइसे जल बिनु तड़पै मछरिया, मरैं नर नरिया हो

 

फफकि के रोवेले गुजरिया, उठेला  चीत्करिया हो

मोरे जिनगी में छवल अन्हरिया, नजरिया से नीर बहै हो

 

के माई कहिके बोलाई, के अँखिया खोलाई मोरी

रोवै बुलुकि के बुढ़िया मतरिया, नजरिया से नीर बहै हो

 

माई के सून भइली गोंदिया, बहिनियां के आस टूटल हो

ए हो बाबू के अंखिया सुखाइ गयो, जिया पथराइ गए हो

 

नाहीं  मिलै  है  चार  कन्हवां, कोरोनवां  से डर रहे  हो

कइसे पियवा के होवै संस्कार, बिपतिया अपार भए हो।

 

जइसे के भेड़ी बोकरिया, मरे हैं नर नरिया हो

भइली आन्हर बहिर सरकरिया, नगरिया बेहाल भए हो

मोहन लाल यादव

               

ग्राम-तुलापुर,पोस्ट- झूँसी ,जिला प्रयागराज (यूपी)

      मोबाइल 99 56 72 43 41

Tuesday, May 25, 2021

मोहनलाल यादव के चालीस दोहे


        

 

परिचय

नाम-मोहनलाल यादव                            

पिता-  चौधरी मुलई यादव               

माता- हुबराजी देवी

ग्राम- तुलापुर, झूँसी, प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)

जन्म-  8 अप्रैल 1959

शिक्षा- स्नातक

संप्रति- अध्यापन

कृतित्व-

नाटक-कलजुगी पंचाइत, आदमखोर, भ्रष्टाचार का मोहि कपल छल छिद्र न भावा आदि 20 नाटकों का लेखन,मंचन एवं निर्देशन

दूसरा प्रेमचंद की कहानियों कफन, सदगति, सुभागी, पंच परमेश्वर, मंत्र आदि का नाट्य रूपांतरण, मंचन एवं निर्देशन।

★1988 में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था "प्रतिध्वनि लोकमंच" की स्थापना एवं लोकगीत, लोक नाटकों एवं लोक नृत्यों की प्रस्तुतियां।

फिल्म चकरघिन्नी में अभिनय

आकाशवाणी इलाहाबाद में कविता पाठ

विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविता, कहानी एवं लेखों का अनवरत प्रकाशन

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.