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अल्का गुप्ता |
श्रष्टि, प्रकृति, योग हैं पुरस्कार,
मिला है, स्वरूप यह उपहार।
सुखी जीवन का एक आधार,
योग का पालन करो सरोकार।
मात्र योग एवं प्रकृति के,
सामीप्य से सब रोग निषिद्ध।
अर्जित, आत्मसिद्धि शांत-चित्त,
सात्विकता ही है फलसिद्ध।
हैं प्रकृति योग सम्बन्ध घनेरा,
प्रकृति और योग के सानिध्य में।
अभिसिंचित होता जीवन मेरा
व्यतीत हो जीवन के मध्य में।
मन भ्रान्ति मिट जाये सब,
अर्जित हो शांति जो योग ।
काया-क्लेश दूर हो,
काया प्रफुल्लित हो रहें निरोग।
पता-लखीमपुर-खीरी ( उ०प्र०)