स्मृति शेष
 |
स्व ० बीना रानी |
माँ भारती की अनन्य भक्त, साहित्य के क्षेत्र की एक जानी-मानी हस्ती, श्रीमती डॉ. बीना रानी गुप्ता का परलोक गमन हिंदी साहित्य के क्षेत्र की एक दुर्भाग्यपूर्ण क्षति है। वे परम्परावादी हिंदू नारी व आधुनिक युग की प्रगतिशील भरतीय नारी के मिश्रण की एक सजीव मिसाल थीं । गृहलक्ष्मी के समस्त गुणों से युक्त, आदर्श पुत्री, पत्नी, माँ, गृहिणी के समस्त उत्तरदायित्वों का पालन करते हुए प्रगति की ओर अग्रसर हो समाज व देश के प्रति भी सजगता पूर्वक अपने कर्तव्यों के प्रति समर्पित श्रीमती. बीना रानी जी अपने परिवेश के हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा का स्रोत थीं, हैं और रहेंगी । पठन-पाठन, शिक्षण आदि के साथ साहित्य की विविध विधाओं पर सरल, सुबोध शैली में चलती उनकी कलम पाठकों के मन पर आमिट छाप छोड़ जाती थी। शोध कर्ताओं के हेतु प्रकाशित उनकी पुस्तक “शोध प्रविधि के विविध आयाम” हर शोधकर्ता का मार्गदर्शन कर शोध-कार्य को जिस तरह सरल-सुगम कर समझा देती है वह सच में अत्यंत सराहनीय कार्य है । ऐसी विभूतियाँ संसार में कुछ विशेष प्रयोजन हेतु आती हैं, लक्ष्यपूर्ति कर अपनी स्मृतियों की छाप छोड़ संसार से विदा हो जाती हैं, और हम देखते रह जाते हैं बेबस से । काश मैं कभी उनके प्रत्यक्ष दर्शन कर पाती । भारत माता व माँ भारती की ऐसी आदर्श पुत्री स्वर्गीया श्रीमती डॉ. बीना गुप्ता को हार्दिक श्रद्धांजलि व सादर नमन ।
हैं अश्रुपुरित नेत्रों से बहती जल-धारा से सिंचित सजल कण,
हैं तव स्मृतियों में लीन हृदय के स्नेह से सुरभित सुमन,
हैं व्यथित उर से उभर आते करूण स्वरों से रंजित भाव,
कर लेना स्वीकार यह श्रद्धांजलि हमको अपना मान !
पेरिस, फ़्रान्स
दिनांक १६ अप्रैल २०२२)