साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Sunday, June 13, 2021

स्वाद निराला- सतीश चन्द्र भगत

ले लो भैया गरम समोसा

खाओ भैया इडली डोसा ।

 

अजब- गजब संग चटनी वाला,

चटपट- चटपट स्वाद निराला ।

 

बोलो बोलो क्या है लेना,

नहीं अधिक है दाम देना ।

 

मेरी जेब में दस रुपैया,

जो है सस्ता दे दो भैया ।

 

गरम समोसा मीठी चटनी,

खाकर फिर पुस्तक है पढ़नी ।

निदेशक- हिन्दी बाल साहित्य शोध संस्थान

बनौली, दरभंगा ( बिहार) -847428

No comments:

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.