भोजपुरी कविता
केतना दुखड़ा गाई भाइ
केतना दरद छिपाई भाइ
गरज रही बा बेरोजगारी
बरस रही महंगाई भाइ
चारिउ ओरिया ठगहारी बा
कइसे देश बचाई भाइ
राजा भ बेइमान के संगी
केसे अरज सुनाई भाइ
छल प्रपंच के हरियर खेती
सत्य फसल कुम्हिलाई भाइ
हम किसान के जिनगी दूभर
रक्तन आँस चुवाई भाइ
दागी भइली राम चदरिया
रामउ गए बिकाई भाइ
सभै अहैं मतलब के साथी
केसे करी मिताई भाइ
बहुतै भारी बिपत गठरिया
गई बहुत गरुआई भाइ
इंकलाब जयघोष गगन में
तब दुश्मन थर्राई भाइ
ग्राम- तुलापुर, झूँसी, प्रयागराज यूपी
मोबाइल-9956724341

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