लघुकथा संग्रह का नाम- वर्चुअल रैली
लेखक का नाम- सुरेश सौरभ
किताब का मूल्य -160/-(पेपर बैक)
250/-(हार्ड बान्ड)
प्रकाशन- इन्डिया नेटबुक्स प्राइवेट
लिमिटेड, नोएडा-201301
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सुरेश सौरभ जी की इकहत्तर लघुकथाओं का संग्रह वर्चुअल रैली मुझे तकरीबन दस दिन पहले मिला। मैं पापा की डेथ के कारण माँ के घर में थी यह किताब मेरे पीछे आई हुई रखी थी । मैंने इसे सत्ताइस तारीख को खोला लेकिन मैं अपने मन की उथल-पुथल के कारण इस पर मंथन का मन नहीं बना सकी ।
सबसे पहले तो पुस्तक के लेखक को बहुत
साधुवाद कि यह किताब उन्होंने उन "कोरोना के शहीदों" को समर्पित की है, जिनकी मृत देह तक सम्मान न पा सकी
उन्हें सम्मान देने से ज्यादा बड़ा काम और क्या होगा? इससे ज़्यादा कठिन और क्रूर
समय मानव अपने जीवन में क्या ही देख पायेगा।
सुरेश जी ने अपनी लघुकथाओं में बोलचाल
की भाषा को स्थान दिया है इस कारण सामान्य पाठक वर्ग इनको सिर आंखों पर लेगा इसमें
सन्देह नहीं। वाक्य-विन्यास सरल है और आम व्यक्ति की रोजमर्रा की घटनाओं से जुड़े
हुए हैं जिससे कि पाठकों को सुरेश जी के
लिखे में तनिक भी कठिनाई का अनुभव नहीं होना चाहिए। यही इस किताब की सबसे बड़ी
सफलता मानी जानी चाहिए।
बुनावट बहुत गझिन न सही परंतु आसपास के
वातावरण में व्याप्त नकारात्मकता को लेखक का मन कितनी करुणा से भर जाता है जिसके
लिए कि उसे कलम का हथियार उठाना पड़ा यह देखना तो बनता ही है। संग्रह की लघुकथाएं
पाठक स्वयं पढ़कर निर्णय करेंगे तो अच्छा होगा...।
-संध्या तिवारी
पीलीभीत उत्तर प्रदेश
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