साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, June 11, 2021

सबकी आंखों को रूलाता हुआ मैं कड़ुआ तेल हूं-सुरेश सौरभ

    हा..हा.. हा..हा.. मैं कड़ुआ तेल बोल रहा हूं। बड़े-बड़े नेताओं की तरह अपना भी, आज टनाटन चारों ओर खूब बिंदास रौब रूतबा कायम होता जा रहा है। बहरहाल आजकल मैं लोगाें का खूब तेल निकाल रहा हूं। हमेशा लोग निठल्लों के साथ मेरा नाम जोड़ कर मुझे बेवजह बदनाम किया करतें हैं, जैसे तुम को कुछ नहीं करना, बस तेल लगा कर बैठे रहो या कान में तेल डालकर चुपचाप बैठो, तुम्हें धेला कुछ नहीं आता। या इन्हें कुछ नहीं करना बस तेल लगा कर बैठे-ठाले खाली दण्ड पेलना है। ऐसी-वैसी तमाम मिसालें बना-बना कर बात-बात पर मेरा मजाक उड़ाने वाले बंदों के, आंख, मुंह, हाथ-पांव और यहां-वहां सब कहीं बस कड़वा-कड़वा ही लग कर मैं रूला रहा हूं। पेट्रोल, डीजल के शतक लगाने पर, खूब चटखारे ले ले कर चर्चा करने वालों के भी मैं ऐसा कड़वा-कड़वा लग कर झेला रहा हूं कि वह सब भी अब मेरा नाम लेने से ऐसे घबरा रहें हैं जैसे मैं कड़ुआ तेल नहीं हूं बल्कि गब्बर सिंह हूं जो कहीं से आ गया, तो उनकी पूरी नींद और चैन छीन लेगा। अब लोग यह भी नहीं कहते न नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी। अब कहतें हैं, न सौ ग्राम तेल होगा, न राधा नाचेगी। न लोग यह कहते हैं, मैं तेल और तेल की धार देखता हूं। बल्कि कहतें हैं, कहां है, तेल और तेल की धार? देखने के लिए हम बरसों से तरस रहे हैं। और न लोग यह कहतें हैं तेली का तेल जले मसालची का दिल। बल्कि ये कहतें हैं कहां है तेली?कहां है मसालची? उसे देखे सादियां बीत गईं। मेरी देखा-देखी रिफाइन्ड व अन्य खाने व,लगाने वाले तेल भी अपनी नौ भौं सिकोड़ते जा रहे हैं। यानी अपना भाव बढ़ाते जा रहें हैं। कोरोना काल की मंदी की बेकारी में वैसे भी गरीबों की कमर टूटी थी। अब मेरे रेट बढ़ने से लोगाें का तेल निकल रहा है। लोगों की हालत पतली-दुबली होती जा रही है। पर डोन्ट वेरी भाईयों और बहनों एक न एक दिन अच्छे दिन जरूर आएंगे जैसे नोटबंदी के बाद विदेशों से काला धन वापस आया था। साल भीतर लगभग दोहरे शतक तक पहुंचने में मेरा तिल भर दोष नहीं है, मैं विलियम वर्ड्सवर्थ की "लूसी ग्रे" की तरह बिलकुल निर्दोष मासूम हूं। अगर आप को मेरे पर जरा भी विश्वास न हो, तो तेल की जमाखोरी करने वाले, देश-वदेश की तेल आयात-निर्यात नीति निर्माताओं से पूछ सकतें हैं कि किस तरह कितना मैं निर्दोष हूं। इसलिए कोल्ड ड्रिंक्स पी पी कर बेवजह हमें न श्राप दें।



-सुरेश सौरभ

निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश

मो-7376236066

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