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नन्दी लाल |
कबतलक जुल्म यह सहा जाए।।
पूण्य सब
पाप सँग बहा जाए।।
कुछ तो अखबार में लिखा जाए।।
आप से और क्या कहा जाए।।
दुखते पाँवों से कब चला जाए।।
क्या पता कौन बरगला जाए।।
उसकी गर्दन
कोई दबा जाए।।
आपको
मुफ्त में दवा जाए।।
बात ही बात में रुला जाए।।
पता-गोला गोकर्णनाथ खीरी