साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, June 04, 2021

तोता

श्याम किशोर बेचैन

हरा  बदन  है मुख  है लाल |

घर है उसका पेड़ की डाल ||

 

पिंजरे  मे  जब   होता  है  |

मन  ही  मन  में  रोता  है ||

 

मीठा  तीखा  उसे  पसंद |

उसको ना  भाए प्रतिबंध ||

 

है  सुकदेव  का वंशज वो |

बिन किताब पढ़ता है जो ||

 

शब्द  शब्द  दोहराता  है |

सबके  मन को  भाता है ||


No comments:

पढ़िये आज की रचना

शेर का परिवार-अखिलेश कुमार अरुण

  व्यंग्य   (दिनांक ११ सितम्बर २०२५ को मध्यप्रदेश से प्रकाशित इंदौर समाचार पत्र पृष्ठ संख्या-१०) अखिलेश कुमार 'अरुण'  ग्राम- हज़...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.