साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, June 04, 2021

आरएसएस नियंत्रित बीजेपी सरकार में ओबीसी के वेलफेयर की उम्मीद/कल्पना करना सबसे बड़ी भूल:

एक विमर्श  वंचित समाज के लिए
नन्द लाल वर्मा (एसोसिएट प्रोफेसर) 


             ज ओबीसी से संबंधित सोशल मीडिया/साइट्स पर एक ख़बर काफी तेजी से प्रचारित हो रही है। खबर यह है कि बीजेपी के यूपी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष और सीतापुर लोकसभा मा.सांसद श्री राजेश वर्मा को संसद की "ओबीसी वेलफेयर संबंधी संसदीय समिति " का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है,इस पद को राज्यमंत्री स्तर का दर्जा प्राप्त है।ओबीसी विशेषकर कुर्मी/पटेल समाज के राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय सामाजिक संगठनों से भरपूर बधाईयों और शुभकामनाओं का अनवरत सिलसिला जारी है।ज़ारी भी रहना चाहिए,क्योंकि ओबीसी में कुर्मी/पटेल समाज की अपनी एक महत्वपूर्ण व निर्णायक जनसंख्या और राजनैतिक शक्ति और भागीदारी रही है।हमारी तरफ से हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं इसलिये विशेष हो जाती हैं,क्योंकि श्री राजेश वर्मा हमारे जनपद खीरी से लगे जनपद सीतापुर के रहने वाले हैं और वहीं से बीजेपी से दोबारा सांसद चुने गए हैं और बीजेपी के उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रांतीय अध्यक्ष भी हैं।इससे पूर्व वह बीएसपी से सांसद रहे हैं। 

इस संसदीय समिति का गठन इस उद्देश्य से है कि वह समय-समय पर देश के ओबीसी की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का आकलन और मूल्यांकन करना और बदले हुए परिवेश में उनके अपेक्षित कल्याण के लिए सरकार को सिफारिश करना।श्री राजेश वर्मा से पहले इसी संसदीय समिति के चेयरमैन बीजेपी के वरिष्ठ सांसद (2004 से अनवरत चौथी बार सांसद) श्री गणेश सिंह पटेल (मध्यप्रदेश की सतना लोकसभा सीट) थे जिनका कार्यकाल संभवतःवर्ष 2020 समाप्त होने से कुछ समय पूर्व खत्म हो गया था।यहां यह उल्लेख करना और याद दिलाना बहुत जरूरी है कि श्री गणेश सिंह पटेल ने अपने कार्यकाल में ओबीसी की क्रीमी लेयर की नौकरियों और शिक्षण संस्थाओं के प्रवेश में आरक्षण के लिए संशोधित औसत वार्षिक आय सीमा आठ लाख रुपये से बढ़ाकर पंद्रह लाख रुपए की सिफारिश की थी और यह भी उल्लेख किया था कि इस "औसत वार्षिक आय सीमा" की गणना (कैल्कुलेशन) में अभ्यर्थी के माता-पिता की "कृषि और वेतन" से होने वाली आय शामिल नहीं की जाएगी जैसा कि 1992 में बना क्रीमी लेयर नियम जो 1993 से लागू हुआ,की आय सीमा तय करते समय मूल विशेषज्ञ समिति ने सिफारिश की थी।श्री गणेश सिंह जी की अन्य सिफारिशों के साथ यह सिफारिश कई महीने सरकारी पटल पर पेंडिंग में पड़ी रहीं और बीपी शर्मा(सेवानिवृत्त आईएएस) की अध्यक्षता में गठित डीओपीटी की समिति की क्रीमी लेयर की सिफारिश (औसत वार्षिक आय ₹12लाख जिसकी गणना में कृषि और वेतन से होनी वाली आय शामिल की गई थी) मानकर ओबीसी के बहुत से बच्चों को क्रीमी लेयर में शामिल होने की वजह से आरक्षण की परिधि से आज भी बाहर किया जा रहा है।बहुत से अभ्यर्थी आज भी न्यायिक प्रक्रिया से जूझ रहे हैं। श्री गणेश सिंह पटेल द्वारा बार- बार याद दिलाने के बावजूद जब उनकी सिफारिशों पर संसद या सरकार के पटल पर चर्चा तक नही हुई तो उन्होंने संसद के सभी 112 ओबीसी सांसदों को एक खुला आमंत्रण पत्र प्रेषित कर यह अनुरोध किया था कि इस विषय पर सभी ओबीसी सांसदों को दलगत राजनीति से ऊपर उठकर मा. प्रधानमंत्री जी और गृहमंत्री को इन सिफारिशों को लागू करने के लिए पत्र लिखकर या ट्वीट करके, क्रीमीलेयर के माध्यम से नौकरीपेशा और किसानों को आरक्षण से लगभग बाहर करने की कोशिश का कड़ा विरोध करें।इस खुले पत्र के बाद चुनिंदा गैर बीजेपी सांसदों ने तो पीएम को पत्र लिखा।किंतु बीजेपी सरकार में शामिल सभी दलों के ओबीसी सांसदों को सांप सूंघ गया था।बीजेपी के जो ओबीसी सांसद इस समिति के सदस्य थे, वे भी उनके इस आमंत्रण पत्र पर अदृश्य राजनैतिक भयवश मौन व्रत धारण कर कन्नी काटते रहे। जनपद खीरी के गोला गोकर्णनाथ निवासी यूपी से समाजवादी पार्टी के तत्कालीन राज्यसभा सांसद श्री रवि प्रकाश वर्मा जी ने पीएम को इस संदर्भ में पत्र लिखकर जिस तत्परता, जीवंत सामाजिक चेतना और गौरव का परिचय दिया था,उसके लिए जनपद खीरी के ओबीसी संगठनों को उनके प्रति कृतज्ञता भाव से धन्यवाद। सामाजिक दिशा में उनके द्वारा की गई इस पहल/ प्रयास के लिए ओबीसी उन्हें सदैव सम्मान के साथ याद करता रहेगा श्री गणेश सिंह जी ने बीजेपी से सांसद होने के बावजूद ओबीसी के कल्याण की दिशा में वर्गीय चेतना से ओतप्रोत जो साहसिक कदम उठाया था, उसकी प्रशंसा या सपोर्ट में ओबीसी विशेषकर कुर्मी/पटेल समाज के विविध समूहों मंव इतनी चेतना,जोर-शोर और दमख़म और सभी ओबीसी सांसदों के प्रति आक्रोश नही दिखा था जितना आज नवनियुक्त अध्यक्ष की ताजपोशी पर दिख रहा है। धर्म की राजनीति के नशे में डूबा ओबीसी यह नही समझ पा रहा कि किस साज़िश से बीजेपी सरकार द्वारा व्यवस्था में परिवर्तन कर अप्रत्यक्ष तरीकों से उसके आरक्षण के प्रभाव को कैसे धीरे धीरे खत्म किया जा रहा है और दूसरी तरफ देश के 15% सामान्य वर्ग के निर्धन लोगों(ईडब्ल्यूएस) को संविधान संशोधन के माध्यम से 10% आरक्षण दिया जा रहा है? 

 दरअसल,ओबीसी में इतिहास पर गौर कर सीखने की आदत नही है।यदि ओबीसी को श्री गणेश सिंह पटेल के संघर्ष और योगदान और आरएसएस संचालित बीजेपी सरकार की सामाजिक और राजनैतिक संस्कृति की सही जानकारी होती तो नवनियुक्ति पर इतना जश्न जैसा माहौल नही दिखता! मूलतः सामाजिक विचारक और मंडल आंदोलन से जुड़े श्री गणेश सिंह पटेल के सामाजिक दिशा में किये गए योगदान/ऋण के लिए वे ओबीसी में सदैव सम्मान से याद किये जायेंगे।उनके कार्यकाल की सिफारिशें आज भी भारत सरकार के दफ्तर में धूल फांक रही हैं और इन सिफारिशों के लागू न होने के कारण ओबीसी के बहुत से बच्चे आरक्षण का लाभ न मिलने से आईएएस, आईपीएस और पीसीएस बनने से वंचित होकर उससे कमतर पदों पर चयनित होने के लिए बाध्य किये जा रहे हैं।

अपने अब तक के लोकसभा सांसद के कार्यकाल में गणेश सिंह पटेल ने ओबीसी के मुद्दों को हमेशा प्रमुखता और प्रखरता प्रदान की है। इसी वजह से उन्हें ओबीसी कल्याण की संसदीय समिति का अध्यक्ष बनाया गया था और इस नाते उनका जो सामाजिक-राजनैतिक कद बढ़ा, उसका सही इस्तेमाल करते हुए उन्होंने ओबीसी क्रीमीलेयर के नियमों में होने जा रहे अपनी ही सरकार के खतरनाक बदलावों का विरोध तो किया ही, साथ ही उसे राष्ट्रीय मुद्दा भी बना दिया।" 

आज स्थिति यह है कि क्रीमीलेयर में संशोधन की सिफारिश करने वाली डीओपीटी कमेटी के चेयरमैन बीपी शर्मा देशभर में ओबीसी तबके के बीच खलनायक बन चुके हैं और अब सरकार भी उनकी सिफारिशों पर आगे बढ़ने से पहले पुनर्विचार करती दिख रही है जैसा कि गृहमंत्री अमित शाह ने संकेत दिया है।अगर ओबीसी के लिए यह बात कुछ मायने रखती है तो इसका पूरा श्रेय समाजवादी पृष्ठभूमि और मंडल आयोग के प्रबल समर्थक सांसद गणेश सिंह पटेल को ही जाता है। 

सांसद श्री राजेश वर्मा को उसी संसदीय समिति का चेयरमैन बनाया गया है।ओबीसी के सभी सोशल साइट्स/मीडिया से मेरा अनुरोध है कि वे नवनियुक्त चेयरमैन को भरपूर मात्रा में और लंबे समय तक हार्दिक बधाईयां और शुभकामनाएं प्रेषित करने के साथ सोशल साइट्स/मीडिया के माध्यम से श्री गणेश सिंह जी के कार्यकाल की ठंडे बस्ते में पड़ी क्रीमी लेयर की सिफारिश को तत्काल लागू कराने की समय-समय पर याद दिलाते रहे और पूर्णसम्मान के साथ सामाजिक और राजनैतिक दबाव भी बनाते रहें जिससे हमारे ओबीसी के बच्चों का भविष्य अंधकारमय होने से बच सके।यही हमारी सामाजिक और राजनैतिक चेतना की परिचायक भी होगी।

श्री राजेश वर्मा जी को ओबीसी के समस्त सामाजिक और राजनैतिक संगठनों की ओर से इस अनुरोध के साथ एक बार पुनः बधाईयां और शुभकामनाएं कि ओबीसी की क्रीमी लेयर से संबंधित सिफारिश को यथाशीघ्र लागू करवाने में भरसक प्रयास करें जिससे हमारे समाज के बच्चे कमतर पदों पर जाने की मजबूरी से बच सकें। 

 
लखीमपुर-खीरी (यूपी) 9415461224,8858656000

No comments:

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.