साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Saturday, May 22, 2021

आसुओं के बदले आंसू और मिल ही क्या सकता है


"वस्तुतः कहें तो रुदन, क्रंदन अपने आप में अभिनय क्षेत्र की सर्वोच्च नाटकीयता का अंश है। जिसे विश्व की गिने चुने अभिनेता ही अभी तक इसका सफल मंचन कर सके हैं। हमारा सौभाग्य है कि हमारे देश की यशस्वी प्रधानमंत्री इस विधा में पारंगत हैं।"


As Poll Results Crystallise, PM Modi Congratulates Victors, Lauds BJP  Workers on Twitter
साथियों अभिनय की दुनिया में किसी भी अभिनेता के लिए चारित्रिक अभिनय में रुदन अभिनय करना अपने आप में एक बहुत बड़ा चैलेंज होता है, जो सहज रोने का अभिनय कर लेता है वह वास्तविक में एक सफल अभिनयके शीर्ष पर पहुंच जाता है. उसके काम की लोग तारीफ करते हैं। थिएटर से लेकर सिनेमा हॉल तक करतल ध्वनि से गुंजायमान हो जाता है और यह इतना सहज भी नहीं है की सभी आसानी से इसको अभिनित कर सकें वस्तुतः कहें तो रुदन, क्रंदन अपने आप में अभिनय क्षेत्र की सर्वोच्च नाटकीयता का अंश है। जिसे विश्व की गिने चुने अभिनेता ही अभी तक इसका सफल मंचन कर सके हैं। हमारा सौभाग्य है कि हमारे देश की यशस्वी प्रधानमंत्री इस विधा में पारंगत हैं, उन गिनी चुने अभिनेताओं में आप की गिनती होनी चाहिए।

देश के लोग कोरोना काल में भुखमरी, बेरोजगारी, गरीबी, बेकारी और चिकित्सकीय मूलभूत सुविधाओं से जूझ रहा है। देश की नदियां लाशों से पट गई हैं, महंगाई अपने चरम पर है, देश के युवाओं का भविष्य डावांडोल है। ऐसे में देश का कोई भी नागरिक अछूता नहीं है जिसकी आंखों में आंसू ना हो, देश के जिम्मेदार नागरिक होने के नाते आप अपने नागरिकों को आंसू के बदले आंसू नहीं दे सकते।ऐसा करना किसी भी जिम्मेदार व्यक्ति के कायरता की निशानी कहलायेगा। मान लीजिये परिवार में बिपदा आने पर घर का मुखिया ही आंसू बहाने लगे तो परिवार के अन्य लोगों का क्या होगा उनको कौन धैर्य/धीरज धरायेगा....ऐसे तो परिवार के लोग और विचलित हो जायेंगे।
विदेशी अख़बार में घड़ियाली आंसू से पीएम के आंसु की तुलना


हिंदू मुस्लिम, धर्म आदि का जादू चलता न देखकर देश के प्रधानमंत्री जीने अपने नागरिकों को इमोशनली ब्लैकमेल करके उनकी सहानुभूति पाने का सफल प्रयास किए हैं किंतु देश की आवाम पर इसका खास असर नहीं पड़ा है कुछ परसेंट को छोड़ दिया जाए तो सभी ने इसकी भर्त्सना की है और नाटकीयता से दूर रहने का सलाह दिया है। सोशल मीडिया पूरा का पूरा व्यंग्य से पट गया है, आलोचनाएं पर आलोचनाएं जारी हैं लोग आंसुओं के भवसागर में डूब और उतरा रहे हैं। चारों तरफ दुख ही दुख है माननीय प्रधानमंत्री जी को अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और देश हित में ठोस कदम उठाना चाहिए कोरोना की तीसरी लहर आने से पहले दूसरी लहर पर पूर्णता नियंत्रण पाया जाए। दूसरी के रहते तीसरी की क्या तैयारी है इसे भी स्पष्ट किया जाए और आज से ही तीसरी लहर के उन्मूलन में पूरे मनोयोग से वैचारिक और राजनैतिक वैमनस्यता को त्याग कर राज्य और केंद्र सरकार साथ साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस महामारी के नियंत्रण में एक दूसरे का सहयोग करें और सहयोग लें। यही देश हित में सच्ची श्रद्धांजलि होगी उन परिवारों के प्रति जिन्होंने अपनों को खोया है। उन्हें इस बात का भरोसा हो जायेगा कि जो कुछ हमने अब तक खोया है अपने शेष को कोरोना की तीसरी लहर में नहीं खोएंगे। इस प्रकार का आप जनता को विश्वाश दिला सकते हैं तो कुर्सी पर बने रहिये नहीं तो प्रधानमंत्री की मर्यादा का सम्मान करते हुए अपना झोला उठाईये और निकल जाईये ......क्योंकि आपने ही कहा था हम देश की जनता के लिए खरे साबित नहीं होंगे तो हमारा क्या आप जब कहेंगे हम अपना झोला उठाएंगे और ............।

देश की जनता को आंसू के बदले आंसू मत दीजिये....देना ही है तो अस्वासन दीजिये, गारंटी दीजिये, रोजगार दीजिये, महंगाई कम कीजिये, बेकारी हटाईये बहुत ढेर सारी समस्याएं हैं कितना लिखूं कुछ पहले से थीं और उनमे से ज्यादातर बीजगणितीय वर्गमुलित हुई हैं 2x2x2x2x2 उनके जिम्मेदार आप हैं

अखिलेश कुमार अरुण
ग्राम हजरतपुर,लखीमपुर 
उ०प्र० २६२७०१
22/05/2021 

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