साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Monday, May 31, 2021

नन्दी लाल की दो गज़लें

लिखे जाएँ हमारे इश्क पर    यूँ ही रिसाले फिर।

मोहब्बत से कोई आकर गले में हाथ डाले फिर।।

अदा अंदाज से आकर हमारा दिल चुरा ले फिर,

बहारों में चमन की घूम कर ताजी हवा ले फिर।।

 

समझ जाएँगे उनको इश्क हमसे हो गया है जो,

झुकाकर नैन अँगुली यार होठों पर लगा ले फिर।।

 

बड़ा चालाक आशिक जो कहीं मिलने से डरता है,

बहाना कर कहीं कल की तरह से अब न टाले फिर।।

 

कहीं जो बढ़ गया     बर्बाद कर देगा तेरी हस्ती,

पुराना रोग है जाकर उन्हीं से अब दवा ले फिर।।

 

बड़ी मुश्किल से कुछ आशा जगी थी सिर छुपाने की

बड़े होने से  पहले पेड़ सारे       काट डाले फिर।।

 

सभी अब काटने को दौड़ते    फुफकारते हैं जो,

यही तो बात उसने  आस्तीं मे नाग  पाले  फिर।।

 

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मानता हूँ  आपका       अपना बहाना ठीक है।

क्या किसी की मौत पर हँसना हँसाना ठीक है।।

 

यह बड़े लोगों के घर की बात है झूठी सही,

यार इनका रोज का खाना खजाना ठीक है।।

 

मौत से लड़कर अकेला आज अपनों के लिए,

गा रहा सुनसान में      बैठा तराना  ठीक है।।

 

ठीक है जो भी हुआ अच्छा हुआ इस मुल्क में,

आपका क्या इस तरह से मुँह छुपाना ठीक है।।

 

माँगकर लाई पड़ोसी से सही    अपने लिए,

लीजिए खा लीजिए बासी है खाना ठीक है।।

 

यार तू पाबंदियों से अब जरा बाहर निकल ,

दिन बहुत अच्छे लगे अब तो जमाना ठीक है।।

 

दर्द के दो घूँट पीकर बैठ जा सिर पीट अब,

आँख में ऑंसू लम्हों का थरथरना ठीक है।।

 

आज के इस दौर में   बेदर्द हाकिम के लिए ,

यार दुखते घाव पर  मरहम लगाना ठीक है।।

 

चार दाने की जरूरत है  अगर इस पेट को,

मिल गया मेहनत से तुझको एक दाना ठीक है।।

 


नन्दी लाल

गोला गोकर्णनाथ खीरी

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