साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Monday, May 24, 2021

शिव सिंह सागर की चार बाल-कवितायेँ

 

           चन्दर की गुलेल 

 गुलेल के निशाने पर राष्ट्रीय पक्षी

चन्दर   ने   बनाई एक  गुलेल l

तोड़    रहा   था   उससे  बेल l

कंकड़   धरकर    उसने  मारा,

हुआ   निशाना   उसका  फेल l

 

एक    नहीं   दो - चार  प्रयास l

छोड़ी  न तब भी  उसने आस l

फिर से   उसने  साधा निशाना,

बेल तोड़ कर   फिर वो  माना l

 

हम भी जो फिर जिद में आएं l

बड़े - बड़े    लक्ष्यों   को  पाएं l

सीख   हमें   दे  गया  ये  खेल,

भा गई  हमको   प्यारी  गुलेल l

 

काश ! मैं पंछी बन जाता 

What is Panch Pakshi Shastra or Pakshi Shastra, Know about them | क्या है  पंच पक्षी शास्त्र या पाक्षी शास्त्र आइए जानते हैं - दैनिक भास्कर हिंदी 

काश !  मैं   पंछी  बन  जाता l

सब   तारों  से  हाथ मिलाता l

 

हवा में उड़-उड़ खेला करता l

किसी  बात से  फिर न डरता,

चाहे  जहाँ  मैं  आता- जाता l

सुबह     सवेरे  शोर   मचाता,

जो मन करता वो फल खाता l

काश ! मैं   पंछी   बन  जाता l

 

अपने  घर  से   नानी   के घर l

उड़ता  रहता    फर  फर फर,

परियों   के   संग  यारी  होती l

कितनी   मौज   हमारी  होती,

सरहद   कोई   रोक    पाता l

काश !  मैं   पंछी   बन  जाता l

 

आया मौसम गर्मी का 

 Election Beshakh Maah 2019 Chaitr Garmi Summer Candidate Prachaar -  Election 2019: ...तो बैशाख की गर्मी से भी दो दो हाथ करने पड़ेंगे  प्रत्याशियों को ! | Patrika News

फर-फर -फर-फर   हवा  चली,

आया     मौसम    गर्मी   का l

शुरू हुआ फिर   दौर ये देखो,

सूरज       की    बेशर्मी   का l

 

झुलस गए  सब बाग - बगीचे,

झुलस  गई   बच्चों की काया l

आठ बजे हैं घड़ी में अब तक,

सूरज  देखों    सर पर  आया l

 

चैन  कहीं   भी   नहीं   हमको,

कूलर  से  आकर  चिपक गए l

बच्चे    हम      तो    बच्चे हैं,

बड़े   भी  घर  में   दुबक  गए l

 

 

        गोलू की  नाव  

EK SHIKAYAT UNSE: कागज की नाव 

गोलू  ने   इक    नाव   बनाया l

पानी    पर      उसको  तैराया l

कहीं से आया  हवा का झोंका l

आकर उसकी  नाव को रोका l

देख    उसे      गोलू    मुर्झाया l

गोलू  ने   इक    नाव   बनाया l

 

तभी   कहीं  से काजल  आई l

उसने   आकर  युक्ति  सुझाई l

भैया     मेरे    मत   घबराओ l

चलो  नाव एक  और बनाओ l

सुन    ऐसा      गोलू   हर्षाया l

गोलू  ने   इक    नाव  बनाया l

 

 

शिव सिंह सागर

                                शिव सिंह सागर

                          बन्दीपुर हथगाम फतेहपुर

पढ़िये आज की रचना

मौत और महिला-अखिलेश कुमार अरुण

(कविता) (नोट-प्रकाशित रचना इंदौर समाचार पत्र मध्य प्रदेश ११ मार्च २०२५ पृष्ठ संख्या-1 , वुमेन एक्सप्रेस पत्र दिल्ली से दिनांक ११ मार्च २०२५ ...

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