साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Tuesday, May 25, 2021

नाचा मोर

 Peacock Herds Start Appearing In Populated Areas In Lockdown, Menar -  लॉकडाउन में आबादी इलाकों में दिखने लगे मोर के झुण्ड , ढाल नृत्य बना आकर्षण  | Patrika News

इतना नाचा मोर कि नभ में

बादल घिर कर लगे नाचने

नाच देखकर बिजली रानी

चमचम चमचम लगी चमकने


इतना नाचा मोर कि नभ से

झमझम बरखा लगी बरसने

बरखा में सब पेड़ नहाकर

पत्ते-पत्ते   लगे   थिरकने

 

इतना नाचा मोर कि नभ से

सारी चिड़िया  लगी उतरने

खुश होकर सब जीव- जन्तु भी

छम-छम, छम-छम लगे नाचने

------------------------------------

डॉ. सतीश चन्द्र भगत


डॉ. सतीश चन्द्र भगत

निदेशक- हिन्दी बाल साहित्य शोध संस्थान

बनौली, दरभंगा ( बिहार) -847428

No comments:

पढ़िये आज की रचना

चर्चा में झूठी-सुरेश सौरभ

(फिल्म समीक्षा)      एक मां के लिए उसका बेटा चाहे जैसा हो वह राजा बेटा ही होता है, बच्चे कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं, जिन्हें हम अपने विचार...

सबसे ज्यादा जो पढ़े गये, आप भी पढ़ें.