इतना
नाचा मोर कि नभ में
बादल
घिर कर लगे नाचने।
नाच
देखकर बिजली रानी
चमचम
चमचम लगी चमकने।
इतना
नाचा मोर कि नभ से
झमझम
बरखा लगी बरसने।
बरखा
में सब पेड़ नहाकर
पत्ते-पत्ते लगे
थिरकने।
इतना
नाचा मोर कि नभ से
सारी
चिड़िया लगी उतरने।
खुश
होकर सब जीव- जन्तु भी
छम-छम, छम-छम
लगे नाचने।
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डॉ. सतीश चन्द्र भगत |
डॉ. सतीश चन्द्र भगत
निदेशक- हिन्दी बाल साहित्य शोध संस्थान,
बनौली, दरभंगा
( बिहार) -847428
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