प्यारे बहुजनों
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बुद्धं शरणं गच्छामि से, अपना रिश्ता जोड़ो जी।
मनुवादी क्रूर व्यवस्था से तुम, अपना नाता तोड़ो जी।
स्वर्ग-नर्क का भय दिखला कर, सदियों से तुम छले गए।
पाप-पुण्य के चक्कर में, तुम हद से ज्यादा दले गए।
तुम से पत्थर पुजवा करके , वो सारे मालामाल हुए।
तुम मूरख अज्ञानी ठहरे , जो पूज पूज कंगाल हुए।
कुछ बुद्धि विवेक से काम करो, सच से रिश्ता जोड़ो जी।
मनुवादी क्रूर व्यवस्था से तुम अपना नाता तोड़ो जी।
खुद की दवा वैद्य से लेते , तुमसे हवन कराते हैं ।
जीव-जंतु, पशु-पक्षी, नदियां, गोबर तक पुजवाते हैं ।
वह कंपटीशन की करें तैयारी, तुम कांवर को ढोते हो।
फिर अपनी अमिट गरीबी का, बेमतलब रोना रोते हो ।
छोड़ देवालय विद्यालय से , अपना रिश्ता जोड़ो जी ।
मनुवादी क्रूर व्यवस्था से तुम अपना नाता तोड़ो जी।
वक्त पड़े तो चरणों में तुम्हारे, उनको झुकना आता है।
जब वह झूठा प्यार करें , तब सीना गदगद हो जाता है।
बिना ज्ञान के छोटी सी भी, चाल समझ ना पाते हो ।
उनके बिछे जाल में तुम, आसानी से फंस जाते हो ।
मांस और मदिरा के खातिर, ईमान अपना छोड़ो जी।
मनुवादी क्रूर व्यवस्था से तुम, अपना नाता तोड़ो जी।
रमाकान्त चौधरी
ग्राम - झाऊपुर, लंदनपुर ग्रंट,
गोला गोकर्णनाथ, लखीमपुर खीरी।
उत्तर प्रदेश।
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