साहित्य

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  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Friday, May 28, 2021

बरखा (लघुकथा)

बरखा

 

-सुरेश सौरभ


 

हट.. हट हट हट.. भाग भाग..

'अरे! यह गुड़िया क्या कर रही  है-पति।

'बारिश को भगा रही है-पत्नी।

'वो क्यों-पति।

'क्योंकि बारिश अगर होती रहेगी, तब आप आज काम पर न जा पाएंगे और बेटी के लिए चिज्जी भी न ला पाएंगे?-पत्नी।

पति खामोश।

'अब क्या सोच रहे हैं-पत्नी।

'यही कि बारिश बंद भी हो गई तो क्या करूँगा?जब बाहर लॉकडाउन लगा है। हम रोज कुँआ खोदने वाले, रोज पानी पीने वाले मजूरों का, हर ओर सिर्फ मरण ही लिखा है।'-पति।

    अब खामोश पति-पत्नी सजल नेत्रों से, एक-दूसरे को ताक रहे थे, मूक भाषा में कुछ कह रहे थे।

     हट.. हट हट बारिश भाग हट... हट.. उधर तीन साल की गुड़िया एक छड़ी जमीन पर पटकते हुए बारिश को भगाए जा रही थी। ... सुबह से बरखा जारी थी।


निर्मल नगर लखीमपुर खीरी

पिन-262701

मो-7376236066

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