साहित्य

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  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Saturday, May 29, 2021

कोरोना की त्रासदी पर एक मार्मिक सोहर गीत

 पुरबी के जनक 'महेद्र मिश्र' – अभिव्यक्ति 

                           सोहर

उठेला कोरोना के लहरिया, मचल हाहाकरिया हो

चारिउ ओरिया मौत के खबरिया नगरिया बेहाल भए हो

 

नाही अस्पताल मे जगहिया मिलैं,नाही डागडरवा मिलैं हो

बेड नाहीं मिले ,ना मिले  दवइया, मनइया बेहाल भए हो

 

नाहीं ऑक्सीजन गैसिया, घुटन लागी संसिया हो..

जइसे जल बिनु तड़पै मछरिया, मरैं नर नरिया हो

 

फफकि के रोवेले गुजरिया, उठेला  चीत्करिया हो

मोरे जिनगी में छवल अन्हरिया, नजरिया से नीर बहै हो

 

के माई कहिके बोलाई, के अँखिया खोलाई मोरी

रोवै बुलुकि के बुढ़िया मतरिया, नजरिया से नीर बहै हो

 

माई के सून भइली गोंदिया, बहिनियां के आस टूटल हो

ए हो बाबू के अंखिया सुखाइ गयो, जिया पथराइ गए हो

 

नाहीं  मिलै  है  चार  कन्हवां, कोरोनवां  से डर रहे  हो

कइसे पियवा के होवै संस्कार, बिपतिया अपार भए हो।

 

जइसे के भेड़ी बोकरिया, मरे हैं नर नरिया हो

भइली आन्हर बहिर सरकरिया, नगरिया बेहाल भए हो

मोहन लाल यादव

               

ग्राम-तुलापुर,पोस्ट- झूँसी ,जिला प्रयागराज (यूपी)

      मोबाइल 99 56 72 43 41

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