साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Monday, May 31, 2021

कबूतर बोले

 कबूतर बोले

गूटुरू गूं कबूतर बोले,

हुआ सबेरा तुम क्यों सोए ।

 

सूरज की किरणें खिड़की पर,

तुम क्यों अब सपने में खोए ।

 

सुबह- सबेरे जो उठ जाए,

आलस भी उससे डर जाए ।

 

बड़े लगन से दिनभर अपने,

कामों में भी वे जुड़  जाए ।

 

प्रतिदिन आगे बढ़ते हुए,

अपना जीवन सफल बनाए ।

 

-डॉ. सतीश चन्द्र भगत


निदेशक-- हिन्दी बाल साहित्य शोध संस्थान, बनौली, दरभंगा (बिहार) -847428

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