साहित्य

  • जन की बात न दबेगी, न छिपेगी, अब छपेगी, लोकतंत्र के सच्चे सिपाही बनिए अपने लिए नहीं, अपने आने वाले कल के लिए, आपका अपना भविष्य जहाँ गर्व से कह सके आप थे तो हम हैं।
  • लखीमपुर-खीरी उ०प्र०

Monday, May 31, 2021

ये कैसी हवा चली-जसवंत कुमार

साहित्य के नवांकुर 

उज्ज्वल भविष्य की कामनाओं के साथ पहली कविता प्रकाशित है.

ये कैसी हवा चली, सुनसान हो गया-

सारा शहर और गली ।

कुछ तो बात है इस राज में,

जो उम्मीद की हमने वह व्यवस्था न मिली ।।

पानी बिन सूख गए-

खिलने से पहले, कितने फूल और कली ।

जो लोगों की जान बचाते थे,

वही दे रहे हैं- इंसानों की बली ।।

कोई दवी -देवताओं से उम्मीद लगाये बैठा है,

तो कोई कहता है-ठीक कर देगा मेरा अली ।

ये कैसी हवा चली  सुनसान हो गया,

सारा शहर और गली ।



जसवन्त कुमार (बी०ए० द्वितीय वर्ष)

ग्राम-सरवा पोस्ट-पिपरागूम

जिला-लखीमपुर

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