महंगाई की मार
अच्छे दिन
के इंतज़ार में
मां गंगा की धार मिली ।
जीना मुश्किल हुआ है ऐसी
महंगाई की मार मिली ।।
नाही पंद्रह
लाख मिला
नाही कोई रोजगार मिला ।
नाही आक्सीजन मिल पाया
नाही कोई उपचार मिला ।।
आधी से
ज्यादा आबादी
ला-इलाज बीमार
मिली ।
जीना मुश्किल हुआ है ऐसी
महंगाई की
मार मिली ।।
एक महामारी
के आगे
सारा सिस्टम
फेल हुआ ।
अंगों की तस्करी
हुई और
भ्रष्टाचार का
खेल हुआ ।।
छप्पन इंच
की सारी सेवा
असफल और लाचार मिली ।
जीना मुश्किल हुआ है ऐसी
महंगाई की मार मिली ।।
जहां प्रजा
बेचैन हो राजा
फिर भी मनकी
बात करे ।
धनवानों पर कृपा करें और
निर्धन पर
आघात करे ।।
वहां प्रजा की सुनने को बस
केवल चीख
पुकार मिली ।
जीना मुश्किल हुआ है ऐसी
महंगाई की मार मिली ।।
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श्यामकिशोर बेचैन |
संकटा देवी बैण्ड मार्केट
लखीमपुर खीरी 262701