नौटंकीबाज
बच्चा
-सुरेश
सौरभ
सरकारी स्कूल के बच्चे मैदान में खेल रहे
थे। तभी एक बच्चा रोते हुए, भागते
हुए, मास्टर
जी के पास आया, उसके
पीछे, उसके साथ
खेलने वाले कुछ बच्चे भी आ गये। रोता हुआ वह बच्चा मास्टर जी से चिंहुकते हुए
बोला-मास्टर जी ये सब मिलकर मुझे मार रहें है।
"हाय!
कित्ता झूठ बोलता हैं यह खुद हम को धड़ाधड़ मार के आ रहा है,
ऊपर से,
हमारे ऊपर झूठा आरोप लगा रहा है-एक
बच्चा मास्टर जी से हैरानी से बोला।
वह बच्चा रोता रहा।
"हां
हां म...ऽ ऽ मास्टर जी, ये
बिलकुल झूट्ठा है-दूसरा बच्चा हकलाते हुए जल्दी-जल्दी में बोला।
बच्चे
ने अपना रूदन और तेज का दिया।
"हां
हां मास्टर जी, ये
बहुत बड़ा नौटंकीबाज है।... इसका बाप भी बड़ा नौटंकीबाज है,
इसका दादा भी नौटंकीबाज है,
इसका पूरा खानदान नौटंकीबाज
है।....ऐसे ही दूसरो को ये लोग पीटते हैं, मारते
हैं और उल्टा रोते हुए थाने में चले जाते हैं ताकि इनका बाल बांका न हो और उल्टा
इनसे पिटनेवाला दुबारा फिर पिट जाए पुलिस से।
अब रोता हुआ वह बच्चा आसमान सिर पर उठा कर
कुत्ते जैसा बिलख-बिलख कर रोने लगा।
"मास्टर
जी मेरी गलती नहीं... मास्टर जी यह झूठा, यह
मक्कार है! यह धोखेबाज है।.. रोने वाले बच्चे से पिटे बच्चे,
दुबारा मास्टर जी से न पिटे,
इसलिए अपनी पूरी सफाई देने
लगे।
अब लड़के का रूदन राग पंचम स्वर में था।
मास्टर जी ने अपना माथा पीट कर, एक
संटी उठाई। दड़बड़ाते हुए बोले-नालायकों एक साधु से लगने वाले बच्चे को खामखा परेशान
कर रहे हो। शिकायती सारे बच्चे फुर्र से फौरन उड़ गए। अब मास्टर जी रोते हुए उस
बच्चे के सिर पर हाथ फेर रहे थे। रोने वाला नौटंकीबाज बच्चा,
अपनी आंखों में हंस रहा था,
मन में कह रहा था,
नौटंकीबाजों से दुनिया हारी है।
लेखक-
सुरेश सौरभ
निर्मल नगर
लखीमपुर खीरी
पिन-262701