लघुकथा
जादूगर एक शहर में आया , झोला खोला सामान निकाला । बांसुरी बजाई , डमरू बजाया लोगों को इकट्ठा किया । जादू शुरू किया । कभी रसगुल्ला , कभी जलेबी , कभी कूकर , कभी घी , कभी लैपटॉप कभी पुराने नोट , कभी नये नोट कभी खनखनाते सोने-चांदी के सिक्के , जादू से बना-बनाकर सबको चौंकाता । लोग लालच भरी , हैरत भरी नज़रों से देखते हुए हतप्रभ थे ।
काफी देर बाद खेल खत्म हुआ । तमाशबीनों ने उसे पैसे दिए , किसी ने अनाज दिया तो कई कंगले खाली दुआएं देते हुए अगली बार कुछ देने का वादा करके अपनी राह हो लिए । जादूगर ने सारे पैसे बटोरे अनाज आदि सब अपना सामान झोले में भरा और चल पड़ा दूसरे शहर में जादू दिखाने ।
यह जादूगर हर पांच साल बाद शहर-शहर गाँव-गाँव सबको ठगता फिर रहा है ।
निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी उत्तर प्रदेश
मो-7376236066