लघुकथा
बेटी खामोश उदास बैठी थी। मां ने उसे देख पूछा-क्या हुआ बेटी बड़ी जल्दी लौट आई।
बेटी मां के गले से लगकर फूट पड़ी-सरवर डाउन था। इसलिए आज सीटैट स्थगित।
'उस दिन टेट का पेपर लीक हुआ था। आज सीटैट स्थगित, लगता है । यह सरकार कुछ करना ही नहीं चाहती।'
अब तो बेटी और बिलखने लगी।
मां ने उसे संभलते हुए कहा-चिंता न कर, भगवान और अपनी मेहनत पर भरोसा कर, एक न एक दिन, अच्छे दिन जरूर आएंगे।
बेटी भड़क गई-खाक में जाएं तुम्हारे अच्छे दिन, इस शब्द से मुझे सख़्त नफरत हो गई है।.. और लंबे-लंबे डग भरते हुए वह दूसरे कमरे में चली गई।
पीछे से उसे गुस्से में जाता देख, मां खीझ में बुदबुदाई-जब वोट दिया है तो झेलना ही पड़ेगा। और रोकर या हंसकर कहना पड़ेगा, 'अच्छे दिन आएंगे।'
पता-निर्मल नगर लखीमपुर-खीरी
मो-7376236066